क्या हरीतकी हर रोग की दवा है?
                                सारांश
Key Takeaways
- हरीतकी पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करती है।
 - यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
 - इसका उपयोग त्वचा और बालों के लिए भी किया जा सकता है।
 - सही मात्रा में सेवन महत्वपूर्ण होता है।
 - आयुर्वेदाचार्य की सलाह अवश्य लें।
 
नई दिल्ली, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियाँ हैं, जिन्हें अमृत के समान माना जाता है और उनमें से एक है हरीतकी। संस्कृत में इसे अभया कहा जाता है, जिसका अर्थ है भय को दूर करने वाली। यह त्रिफला का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसे शरीर को युवा, स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने वाली औषधियों में शामिल किया गया है।
हरीतकी वास्तव में एक पेड़ का फल है, जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण एशिया के कई क्षेत्रों में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसे त्रिदोषहर माना गया है, जो वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
हरीतकी का स्वाद थोड़ा कड़वा है, लेकिन इसके लाभ इतने अधिक हैं कि इसका स्वाद जल्दी ही पसंद आ जाता है। यह पाचन सुधारने, शरीर से विषाक्त तत्व निकालने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है। यदि आपको कब्ज की समस्या है, तो रात को एक चम्मच हरीतकी चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से पेट साफ रहता है और शरीर हल्का महसूस होता है। मुंह के छालों या दुर्गंध में यह अत्यंत प्रभावी है। हरीतकी चूर्ण से कुल्ला करने पर मुंह की सफाई होती है और छालों में राहत मिलती है।
बालों के झड़ने या डैंड्रफ की समस्या में भी हरीतकी फायदेमंद है। इसे आंवला और रीठा के साथ उबालकर उस पानी से बाल धोने से बाल मजबूत होते हैं और डैंड्रफ कम होता है। वहीं, त्वचा रोग जैसे खुजली, फोड़े-फुंसी या एक्जिमा में हरीतकी, हल्दी और नीम की पत्तियों का लेप लगाना बहुत प्रभावी है। डायबिटीज के मरीज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें तो ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है।
हरीतकी का एक और लाभ है, पाचन और मेटाबॉलिज्म को सही रखना। सेंधा नमक और अदरक के साथ इसका सेवन गैस, अपच और भारीपन से राहत देता है। वजन घटाने में भी यह सहायक होती है। शहद और गुनगुने पानी के साथ लेने पर यह मेटाबॉलिज्म को तेज करती है और चर्बी को जलाने में मदद करती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए हरीतकी को पानी में भिगोकर उससे आंखें धोना भी लाभकारी है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान बुद्ध हमेशा अपने साथ हरीतकी रखते थे। यह केवल एक औषधि नहीं है, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का साधन है। हरीतकी के उचित उपयोग से रोग दूर होते हैं और शरीर अंदर से मजबूत बनता है। हालांकि, बिना आयुर्वेदाचार्य की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।