क्या सूर्य नमस्कार से नौकासन तक, कफ दोष संतुलन में प्रभावी हैं ये योगासन?

सारांश
Key Takeaways
- योगासन से कफ दोष का संतुलन संभव है।
- सूर्य नमस्कार ऊर्जा और रक्त संचार को बढ़ाता है।
- उत्कटासन मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
- उष्ट्रासन श्वसन तंत्र को मजबूत करता है।
- नौकासन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
नई दिल्ली, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। कफ, जो पृथ्वी और जल तत्वों से संबंधित है, शरीर में स्थिरता और चिकनाई प्रदान करता है। लेकिन, जब इसका संतुलन बिगड़ता है, तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके परिणामस्वरूप आलस्य, बलगम, सर्दी-खांसी और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्थिति में, कई योगासन कफ दोष को संतुलित करने में सहायक होते हैं।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, नियमित रूप से ये योगासन करने से कफ दोष संतुलित होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इन्हें हमेशा खाली पेट और योग विशेषज्ञ की सलाह पर करना चाहिए।
विशेषज्ञ बताते हैं कि कफ दोष असंतुलन एक ऐसी समस्या है, जिसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इस समस्या से छुटकारा पाने में कई योगासन प्रभावी हैं, जैसे कि सूर्य नमस्कार, उत्कटासन, उष्ट्रासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, नौकासन, पवनमुक्तासन, मार्जरी-वत्सला, और अधोमुख श्वानासन।
सूर्य नमस्कार 8 आसनों का समूह है, जो पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। यह रक्त संचार को बढ़ाता है, आलस्य को कम करता है और फेफड़ों को मजबूत कर बलगम की समस्या को दूर करता है। उत्कटासन जांघों और कूल्हों को मजबूत करता है और मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे कफ के कारण होने वाली सुस्ती कम होती है। उष्ट्रासन छाती को खोलते हुए श्वसन तंत्र को मजबूत करता है और बलगम को कम करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त, त्रिकोणासन शरीर से कफ को बाहर निकालने में मदद करता है, तनाव और चिंता को कम करता है, और पाचन तंत्र में सुधार करता है।
धनुरासन छाती को फैलाता है और फेफड़ों को खोलकर श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करता है। यह पेट की चर्बी घटाने और पाचन को सुधारने में भी सहायक है। नौकासन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पाचन तंत्र को सक्रिय कर गैस और कब्ज की समस्या को दूर करता है। पवनमुक्तासन शरीर में जमी गैस को निकालता है और कफ के कारण होने वाली पाचन समस्याओं को ठीक करता है। मार्जरी-वत्सला रीढ़ को लचीला बनाता है और श्वसन तंत्र को बेहतर बनाकर कफ को नियंत्रित करता है। अधोमुख श्वानासन रक्त संचार को बढ़ाता है, तनाव को कम करता है और फेफड़ों को मजबूत कर कफ से राहत दिलाता है।
इसके अलावा, दिनचर्या में व्यायाम, सुबह-शाम टहलना, और नृत्य जैसी गतिविधियों को शामिल करके रक्त संचार, गर्मी और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाकर कफ दोष को संतुलित किया जा सकता है। विशेषज्ञ सही खानपान की भी सलाह देते हैं।