क्या बलूचिस्तान में पाक सेना महिलाओं को जबरन गायब कर रही है? मानवाधिकार संस्था की चिंता
सारांश
Key Takeaways
- बलूचिस्तान में महिलाओं के गायब होने की घटनाएं बढ़ी हैं।
- पाक सेना पर जबरन गायब करने का आरोप है।
- मानवाधिकार परिषद ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
- महिलाएं अब पहले से ज्यादा टार्गेट बन रही हैं।
- यह दमन का एक नया तरीका है।
क्वेटा, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बलूचिस्तान से लगातार लोगों के गायब होने की घटनाएं रिपोर्ट की जा रही हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर आरोप है कि वे लोगों को जबरन घर से उठाकर ले जाते हैं और गैर-कानूनी तरीके से हत्या करते हैं।
हाल ही में यह भी पता चला है कि बलूचिस्तान में महिलाओं को भी गायब किया जा रहा है। मानवाधिकार परिषद बलूचिस्तान (एचआरसीबी) ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूच महिलाओं के जबरन गायब किए जाने की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
एचआरसीबी ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना द्वारा महिलाओं का अगवा करना प्रांत में दमन का एक सामान्य तरीका बनता जा रहा है। एचआरसीबी के अनुसार, 2025 में बलूच महिलाओं को जबरन गायब करने के नौ मामले दर्ज किए गए।
मानवाधिकार परिषद का कहना है, “ये मामले सामूहिक सजा और कानूनी सुरक्षा के सिस्टमेटिक नुकसान के एक परेशान करने वाले पैटर्न को दर्शाते हैं। विभिन्न बैकग्राउंड की महिलाओं को घरों पर रेड और देर रात के ऑपरेशन के माध्यम से अगवा किया गया है। इनमे छात्राएं, स्वास्थ्यकर्मी, घरेलू कामकाजी महिलाएं और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं। कई पीड़ितों को बार-बार गायब किया गया और टॉर्चर किया गया, जबकि कम से कम एक मामले में कस्टडी में मौत हुई।”
मानवाधिकार संगठन ने कहा कि काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी), फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी), और मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) जैसी पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों की संलिप्तता ने इन उल्लंघनों के कार्यप्रणाली को उजागर किया है। पहले बलूच पुरुषों को जबरन गायब करने और गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में मौत की घटनाएं सामने आती थीं, जो पिछले दो दशकों से चल रही हैं, और अब महिलाओं के साथ भी वही किया जा रहा है।
इसमें आगे कहा गया है कि हजारों बलूच पुरुषों, जिनमें बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग शामिल हैं, को तथाकथित “किल एंड डंप” नीति के तहत जबरदस्ती गायब कर दिया गया है या न्यायेतर हत्याओं का शिकार बनाया गया है।
एचआरसीबी ने कहा, “दशकों से, बलूचिस्तान में जबरदस्ती गायब करने के मामलों में ज्यादातर पुरुषों को टारगेट किया जाता था, जिससे महिलाओं को अपने परिवारों और समुदायों में सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक नतीजे भुगतने पड़ते थे। हालांकि, 2025 में, महिलाएं तेजी से सीधे टारगेट बन रही हैं, जो सरकारी दमन के पैटर्न में एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है।”
आगे कहा गया, “जैसे-जैसे महिलाओं ने परिवारों की जिम्मेदारी संभाली और शांतिपूर्ण विरोध एवं अधिकारों के लिए वकालत में भाग लिया, उन्हें बदले की कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इस तरह जबरन गायब करना महिलाओं को दंडित करने और डराने का एक जानबूझकर तरीका बन गया है, जिसका उद्देश्य असहमति को दबाना और पहले से ही बड़े पैमाने पर गायब होने से प्रभावित क्षेत्र में सामूहिक दुख को और बढ़ाना है।”
एचआरसीबी ने कहा कि महिलाओं को निशाना बनाना अचानक नहीं हुआ है, बल्कि यह बलूचिस्तान में कार्यकर्ताओं को चुप कराकर और उनके परिवारों और समुदायों पर दबाव डालकर महिलाओं के विरोध को कमजोर करने की सोची-समझी कोशिश है।
मानवाधिकार संस्था ने कहा, “खुलेआम छापे मारे जाते हैं, परिवारों को चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता है, और प्रभावी कानूनी उपाय ज्यादातर पहुंच से बाहर रहते हैं। जवाबदेही की लगातार कमी ने इन तरीकों को रूटीन सुरक्षा ऑपरेशन का हिस्सा बना दिया है, जिससे महिलाओं को जबरन गायब करना एक आम अपराध से बदलकर सरकार के नियंत्रण का एक सामान्य तरीका बन गया है।”