क्या आप एचएलए-बी27 पॉजिटिव हैं? आयुर्वेदिक उपचार ही विकल्प हो सकता है

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क्या आप एचएलए-बी27 पॉजिटिव हैं? आयुर्वेदिक उपचार ही विकल्प हो सकता है

सारांश

क्या आप एचएलए-बी27 पॉजिटिव हैं? यह स्थिति ऑटोइम्यून बीमारियों के विकास का संकेत हो सकती है। जानें, कैसे आयुर्वेदिक उपचार इस स्थिति में सहायक हो सकते हैं।

Key Takeaways

  • एचएलए-बी27 पॉजिटिव स्थिति का अर्थ बीमारियों का संकेत नहीं है।
  • यह स्थिति ऑटोइम्यून बीमारियों से जुड़ी हो सकती है।
  • आयुर्वेद में गुडूची और अश्वगंधा जैसे उपायों का प्रयोग किया जाता है।
  • नियमित व्यायाम और योग से लाभ मिल सकता है।
  • तनाव और नींद का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन बी27 पॉजिटिव एक जीन मार्कर है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित है। आजकल इसका नाम अक्सर सुनने में आता है, लेकिन इसके पीछे का अर्थ और शरीर पर इसके प्रभाव के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

जब किसी व्यक्ति की रिपोर्ट में यह पॉजिटिव आता है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित है, बल्कि यह संकेत करता है कि उसके शरीर में कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों के विकसित होने की संभावना अधिक हो सकती है। विशेष रूप से, यह मार्कर अंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, रिएक्टिव अर्थराइटिस, सोरियाटिक आर्थराइटिस और अन्य गठिया संबंधी बीमारियों से जुड़ा होता है।

एचएलए बी27 पॉजिटिव होने पर, व्यक्ति को अक्सर पीठ, कमर और रीढ़ की हड्डी में लगातार दर्द, जोड़ों में सूजन और अकड़न, सुबह के समय जकड़न, आंखों में सूजन या यूवाइटिस और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

एलोपैथी में इस स्थिति का इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को नियंत्रित करने पर केंद्रित होता है। एनएसएआईडी और डीएमएआरडी का उपयोग किया जाता है। गंभीर मामलों में बायोलॉजिक्स जैसे इन्फ्लिक्सिमैब और एटानर्सेप्ट से इम्यून सिस्टम को नियंत्रित किया जाता है।

इसके अलावा, फिजिकल थेरेपी और नियमित व्यायाम से शरीर की लचक बनी रहती है और जकड़न कम होती है। हालांकि, इस बीमारी का स्थायी इलाज फिलहाल एलोपैथी में उपलब्ध नहीं है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से एचएलए बी27 पॉजिटिव स्थिति को आमवात रोग माना जाता है, जिसमें शरीर में आम (विषाक्त पदार्थ) और वात दोष बढ़ जाते हैं। आयुर्वेद में इसके लिए गुडूची (गिलोय), अश्वगंधा, शल्लकी (बोसवेलिया), त्रिफला और हरिद्रा (हल्दी) जैसी औषधियां दी जाती हैं, जो सूजन कम करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर को शुद्ध करने में सहायक होती हैं। पंचकर्म जैसे वमन, वीरेचन और बस्ति चिकित्सा वात और आम दोषों को संतुलित करती हैं।

जीवनशैली में नियमित योगासन जैसे पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, मकरासन और प्राणायाम (अनुलोम-विलोम, कपालभाति) करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है। इसके साथ ही, तैलीय, मसालेदार भोजन से बचना, हल्दी वाला दूध, मेथी, लहसुन और तिल का सेवन करना लाभकारी होता है। तनाव कम करना और पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम एचएलए-बी27 पॉजिटिव स्थिति को गंभीरता से लें। यह एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है कि व्यक्ति को संभावित ऑटोइम्यून बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। हमें इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि लोग सही समय पर उपचार प्राप्त कर सकें।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

एचएलए-बी27 पॉजिटिव होने का क्या मतलब है?
एचएलए-बी27 पॉजिटिव होने का अर्थ है कि व्यक्ति में कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों के विकसित होने की संभावना अधिक है।
क्या सभी एचएलए-बी27 पॉजिटिव लोग बीमार होते हैं?
नहीं, एचएलए-बी27 पॉजिटिव होना बीमारी का संकेत नहीं है, लेकिन यह संभावनाओं को बढ़ाता है।
आयुर्वेद में एचएलए-बी27 पॉजिटिव का उपचार कैसे किया जाता है?
आयुर्वेद में इसके लिए गुडूची, अश्वगंधा, और पंचकर्म जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है।
क्या व्यायाम करने से मदद मिल सकती है?
हाँ, नियमित व्यायाम और योगासन से शरीर की लचक बनी रहती है और जकड़न कम होती है।
क्या इस स्थिति का स्थायी इलाज संभव है?
फिलहाल इस स्थिति का स्थायी इलाज एलोपैथी में उपलब्ध नहीं है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार सहायक हो सकते हैं।