क्या आप 'साइलेंट किलर' हेपेटाइटिस के प्रति जागरूक हैं?

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क्या आप 'साइलेंट किलर' हेपेटाइटिस के प्रति जागरूक हैं?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि लिवर के लिए खतरनाक हेपेटाइटिस को साइलेंट किलर कहा जाता है? हर साल 28 जुलाई को इसका सामना करने के उपायों के लिए विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। जानिए इसके लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में।

Key Takeaways

  • हेपेटाइटिस को 'साइलेंट किलर' कहा जाता है।
  • हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है।
  • इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है।
  • समय पर जांच कराना आवश्यक है।
  • जागरूकता फैलाना हमारी जिम्मेदारी है।

नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लिवर के लिए खतरनाक बीमारी हेपेटाइटिस को चिकित्सा क्षेत्र में 'साइलेंट किलर' कहा जाता है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने और समय पर इसके खिलाफ लड़ाई के उपाय करने के उद्देश्य से हर साल 28 जुलाई को 'विश्व हेपेटाइटिस दिवस' मनाया जाता है।

साल 2025 की थीम है: 'हेपेटाइटिस: चलो इसे खत्म करें', और अब हमें हेपेटाइटिस से जुड़ी हर बाधा को तोड़ने की जरूरत है। यह एक वैश्विक अपील है कि हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए हमें सतही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करना होगा।

डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य है कि 2030 तक हेपेटाइटिस को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की सूची से हटा दिया जाए। दुनियाभर में करोड़ों लोग हेपेटाइटिस 'बी' या 'सी' के साथ जी रहे हैं। हर साल यह बीमारी 13 लाख से अधिक लोगों की जान लेती है। यह संख्या एचआईवी, मलेरिया और टीबी जैसी बीमारियों से होने वाली मौतों की संख्या से भी अधिक है। हेपेटाइटिस के बचाव और इलाज के उपाय मौजूद हैं। विशेष रूप से हेपेटाइटिस बी और सी लंबे समय तक शरीर को प्रभावित करके लिवर सिरोसिस, लिवर फेल्योर और लिवर कैंसर जैसे जानलेवा मामलों की संख्या को बढ़ा देते हैं।

विश्व हेपेटाइटिस दिवस डॉ. बारुच ब्लमबर्ग के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। उन्होंने 1967 में हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की और दो साल बाद इसकी पहली वैक्सीन बनाई। उनके इस अद्भुत योगदान के लिए उन्हें 1976 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज जब उनकी खोज के कारण करोड़ों लोगों की जान बचाई जा रही है, तो इस दिन को उनके सम्मान में मनाया जाता है।

हेपेटाइटिस के कई प्रकार होते हैं- , बी, सी, D और E। हेपेटाइटिस ए और ई दूषित भोजन और पानी से फैलते हैं, जबकि बी, सी और डी खून और शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क से। संक्रमित सिरिंज, असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त से ट्रांसफ्यूजन जैसी स्थितियों में इसके फैलने की संभावना अधिक होती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बीमारी के कई मरीज वर्षों तक किसी लक्षण के बिना जीते रहते हैं। जब तक थकावट, बुखार, भूख की कमी, पेट दर्द, गहरे रंग का पेशाब और त्वचा व आंखों का पीला होना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं, तब तक संक्रमण खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका होता है। हेपेटाइटिस का समय पर पता लगाना और इलाज कराना बेहद जरूरी है, वरना यह लिवर को पूरी तरह नष्ट कर सकता है।

हालांकि, राहत की बात यह है कि हेपेटाइटिस ए और बी की वैक्सीन उपलब्ध है और हेपेटाइटिस सी अब पूरी तरह से इलाज योग्य है। लेकिन अधिकांश लोग जांच कराने तक नहीं पहुँच पाते। जागरूकता की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और सामाजिक कलंक जैसी बाधाएं अभी भी इसकी रोकथाम में रोड़े अटका रही हैं।

भारत जैसे देश में, जहाँ ग्रामीण और वंचित समुदायों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, वहाँ इस बीमारी की रोकथाम एक बड़ी चुनौती है। डब्ल्यूएचओ की रणनीति 2022–2030 के तहत लक्ष्य है कि 2030 तक नए संक्रमणों को 90% और मौतों को 65% तक कम किया जाए। लेकिन अगर तात्कालिक और ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हेपेटाइटिस अकेले 2030 तक 95 लाख नए संक्रमण, 21 लाख लिवर कैंसर और 28 लाख मौतों का कारण बन सकता है।

हेपेटाइटिस से लड़ाई केवल डॉक्टरों या सरकारों का कार्य नहीं है; यह हमारी सभी की जिम्मेदारी है। जागरूक बनें, दूसरों को जागरूक करें, समय पर जांच कराएं और आवश्यकता पड़ने पर इलाज शुरू करें।

Point of View

NationPress
02/08/2025

Frequently Asked Questions

हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं?
हेपेटाइटिस के आम लक्षणों में थकावट, बुखार, भूख की कमी, पेट दर्द, गहरे रंग का पेशाब और त्वचा व आंखों का पीला होना शामिल हैं।
हेपेटाइटिस का इलाज कैसे किया जा सकता है?
हेपेटाइटिस ए और बी के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, और हेपेटाइटिस सी का इलाज संभव है।
हेपेटाइटिस से कैसे बचा जा सकता है?
स्वच्छता का ध्यान रखना, सुरक्षित यौन संबंध बनाना और नियमित जांच कराना हेपेटाइटिस से बचने के उपाय हैं।