क्या अस्पताल में इलाज के लिए लगाई जाने वाली नली से खून में संक्रमण का खतरा है? एम्स अध्ययन

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क्या अस्पताल में इलाज के लिए लगाई जाने वाली नली से खून में संक्रमण का खतरा है? एम्स अध्ययन

सारांश

क्या अस्पताल में इलाज के लिए लगाई जाने वाली नलियाँ खतरनाक हो सकती हैं? एम्स की एक नई स्टडी ने इस बात का खुलासा किया है कि कैथेटर से मरीजों में खून का गंभीर संक्रमण फैल रहा है। जानिए इस अध्ययन में क्या जानकारी दी गई है और कैसे इसे रोका जा सकता है।

Key Takeaways

  • कैथेटर से खून में संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है।
  • अध्ययन में 54 अस्पतालों का डेटा शामिल है।
  • आईसीयू में मरीजों की अधिक संख्या एक प्रमुख कारण है।
  • साफ-सफाई और सावधानियों का पालन न करने से भी संक्रमण का खतरा है।
  • सख्त नियमों का पालन संक्रमण को रोक सकता है।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जब कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार होता है और उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है, तो डॉक्टर उपचार के लिए उसके शरीर में कई प्रकार की नलियाँ लगाते हैं। इनमें से एक होती है कैथेटर... यह अत्यधिक महीन नली होती है। इसे मरीजों की नसों या शरीर के किसी भाग में इसीलिए लगाया जाता है ताकि दवा दी जा सके, खून निकाला जा सके, पेशाब बाहर निकले या फिर शरीर को आवश्यक तरल और पोषण मिल सके। लेकिन अब डॉक्टर और शोधकर्ता इस बात को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं कि यही कैथेटर अब मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो रही है।

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक नई अध्ययन में सामने आया है कि अस्पतालों में उपचार के दौरान लगाए जाने वाले कैथेटर से मरीजों में खून का गंभीर संक्रमण फैल रहा है। इस संक्रमण को चिकित्सा भाषा में सेंट्रल लाइन-एसोसिएटेड ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन्स (सीएलएबीएसआई) कहा जाता है। जब यह संक्रमण फैलता है, तो शरीर में खून के जरिए खतरनाक कीटाणु फैलने लगते हैं, जिससे मरीज की स्थिति और खराब हो सकती है। ये कीटाणु सामान्यतः अस्पताल के वातावरण में होते हैं और कई बार इतने मजबूत हो जाते हैं कि सामान्य एंटीबायोटिक दवाएं भी उन पर प्रभाव नहीं डालतीं।

एम्स की इस स्टडी को 'द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' नामक चिकित्सा जर्नल में प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया कि देशभर के 54 अस्पतालों की 200 आईसीयू यूनिट्स से 2017 से 2024 तक का डाटा इकट्ठा किया गया। इस दौरान 8,629 मामलों में खून संक्रमण की पुष्टि हुई और हर 1,000 सेंट्रल लाइन-डे पर औसतन 8.83 मरीजों को संक्रमण हुआ। सबसे ज्यादा मामले कोविड-19 महामारी के दौरान यानी 2020-21 में दर्ज किए गए, जब अस्पतालों में मरीजों का दबाव बहुत अधिक था और स्टाफ की भी कमी थी।

रिसर्च में यह भी पाया गया कि इन संक्रमणों की मुख्य वजह आईसीयू में मरीजों की अधिक संख्या, साफ़-सफ़ाई के नियमों में लापरवाही और कैथेटर से जुड़ी आवश्यक सावधानियों का पालन न करना है। इससे मरीजों को न केवल लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है, बल्कि उनके इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है।

इन खतरों से बचा जा सकता है यदि कैथेटर का उपयोग सोच-समझकर और सावधानी से किया जाए, स्टाफ को उचित प्रशिक्षण प्राप्त हो, और अस्पतालों में संक्रमण से बचाव के सख्त नियम लागू किए जाएं।

Point of View

बल्कि आम जनता के लिए भी एक चेतावनी है। अस्पतालों में संक्रमणों की रोकथाम के लिए सख्त नियमों का पालन करना आवश्यक है। हम सभी को इस मुद्दे पर जागरूक रहने की जरूरत है, ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

कैथेटर से खून का संक्रमण कैसे होता है?
कैथेटर लगाने के दौरान और बाद में उचित सफाई और सावधानी न बरतने से संक्रमण हो सकता है।
इस संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है?
कैथेटर का उपयोग सोच-समझकर, स्टाफ का सही प्रशिक्षण, और संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन करना आवश्यक है।
क्या यह अध्ययन सभी अस्पतालों के लिए लागू है?
हाँ, यह अध्ययन 54 अस्पतालों के डेटा पर आधारित है और इसकी जानकारी सभी अस्पतालों के लिए महत्वपूर्ण है।