क्या मिर्गी के मरीजों के लिए योग सबसे प्रभावी उपाय है, मानसिक शांति और शरीर का लचीलापन बढ़ाने के लिए?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- मिर्गी के मरीजों के लिए योग एक महत्वपूर्ण उपाय है।
- मानसिक शांति और शारीरिक लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है।
- योग से तनाव और चिंता कम होती है।
- नियमित योग अभ्यास से मिर्गी के दौरे की संभावना घटती है।
- उत्तानासन, हलासन, शवासन जैसे आसन विशेष रूप से लाभकारी हैं।
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हर वर्ष नवंबर में राष्ट्रीय मिर्गी जागरूकता माह मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य मिर्गी के प्रति लोगों की समझ और जागरूकता को बढ़ाना है। मानसिक शांति और नियमित जीवनशैली अपनाने से इस बीमारी का प्रभाव कम किया जा सकता है। इस दिशा में योग एक महत्वपूर्ण उपाय है, क्योंकि यह न केवल शरीर का लचीलापन बढ़ाता है बल्कि दिमाग और नर्वस सिस्टम को भी शांत करता है।
मिर्गी को अंग्रेजी में एपिलेप्सी कहा जाता है। यह दिमाग से संबंधित एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो अचानक दौरे की वजह से मिर्गी के मरीज और उनके परिवार के लिए तनावपूर्ण स्थिति पैदा करती है। मिर्गी के पूर्ण नियंत्रण के लिए केवल दवा लेना पर्याप्त नहीं है। स्ट्रेस को कम करना और नियमित जीवनशैली अपनाना भी इस बीमारी से निपटने में उतना ही आवश्यक है।
उत्तानासन: मिर्गी के मरीजों के लिए उत्तानासन एक अत्यंत लाभकारी आसन है। इस आसन का अभ्यास करने से शरीर की मांसपेशियों, विशेषकर कंधे, कमर और पैरों की मांसपेशियों में स्ट्रेचिंग होती है। इससे शरीर में लचीलापन आता है और मस्तिष्क को आराम मिलता है। तनाव और चिंता कम होने से मिर्गी के दौरे आने की संभावना घटती है।
हलासन: मिर्गी के मरीजों के लिए हलासन एक उपयोगी आसन है। इसके अभ्यास से नसों और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है, जिससे शरीर और दिमाग दोनों ही रिलैक्स महसूस करते हैं। हलासन का नियमित अभ्यास नर्वस सिस्टम को शांत करता है और तनाव को कम करने में सहायक होता है।
शवासन: यह आसन दिमाग और पूरे शरीर को पूर्ण आराम प्रदान करता है। मस्तिष्क और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को शांत करने में यह अत्यंत प्रभावी है। नियमित रूप से शवासन का अभ्यास करने से तनाव और चिंता दूर होती है, और मिर्गी के मरीजों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है।
बालासन: यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए आसान और प्रभावी आसनों में से एक है। इसका अभ्यास दिमाग को शांत करता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। मिर्गी के दौरे अक्सर मानसिक तनाव के कारण आते हैं, और बालासन इस तनाव को दूर करने में मदद करता है।
मत्स्यासन: मत्स्यासन भी मिर्गी के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह मस्तिष्क की कार्य क्षमता में सुधार करता है और तनाव को कम करता है। योगाभ्यास के दौरान यह आसन मानसिक शांति प्रदान करता है, जो मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक है।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                            