क्या नारियल पानी मरीजों के लिए अमृत है या सिर्फ एक पेय?

सारांश
Key Takeaways
- नारियल पानी एक प्राकृतिक, हल्का और कम कैलोरी वाला पेय है।
- यह डिहाइड्रेशन से राहत देता है और ऊर्जा प्रदान करता है।
- किडनी की सेहत में मदद करता है।
- डायबिटीज के मरीजों के लिए सुरक्षित है।
- त्वचा के लिए भी लाभकारी है।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नारियल पानी एक अनमोल उपहार है जो आयुर्वेद के अनुसार औषधि के रूप में माना जाता है। हरे नारियल के भीतर मिलने वाला यह मीठा और पारदर्शी तरल न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यह एक पूरी तरह से प्राकृतिक, हल्का और कम कैलोरी वाला पेय है, जिसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सोडियम जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं।
इसी कारण इसे मरीजों के लिए अमृत के समान माना जाता है। जब बुखार, उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं होती हैं, तब शरीर में पानी और खनिजों की कमी हो जाती है। ऐसे में नारियल पानी तुरंत शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और डिहाइड्रेशन को दूर करता है। यह पाचन को सुधारने में मदद करता है और शरीर को ठंडक देता है।
किडनी की बीमारियों में भी नारियल पानी बेहद लाभकारी होता है, क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा कम और पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
डायबिटीज के रोगी भी इसे सुरक्षित रूप से पी सकते हैं क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है और यह अचानक ब्लड शुगर को नहीं बढ़ाता।
हृदय रोगियों के लिए भी नारियल पानी फायदेमंद है, क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल मुक्त होता है और दिल की धड़कन को संतुलित रखता है। इसमें मौजूद पोटैशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह लीवर को भी साफ करता है और ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया को मजबूत करता है।
जो लोग एसिडिटी, गैस या जलन से परेशान हैं, उनके लिए नारियल पानी एक राहत देने वाला पेय है। यह पेट को ठंडक देकर अम्लपित्त को संतुलित करता है। त्वचा के रोगों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव होता है। मुंहासे, रैशेज या खुजली की समस्या में नारियल पानी पीने और त्वचा पर लगाने से लाभ मिलता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। यही कारण है कि इसे नेचुरल डिटॉक्स वॉटर भी कहा जाता है।
रोजाना १ से २ नारियल पानी का सेवन करना पर्याप्त है। सुबह खाली पेट इसका सेवन सबसे फायदेमंद होता है, जबकि बुखार या उल्टी-दस्त में हर ३-४ घंटे में लेना अधिक उपयुक्त है। एक्सरसाइज के बाद इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखने के लिए भी यह एक आदर्श विकल्प है।
हालांकि, किडनी में पोटैशियम की अधिकता वाले रोगियों को इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए और जिन्हें ब्लड शुगर बहुत असंतुलित है, उन्हें डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।