क्या भारत अस्थिर दुनिया में स्थिरता का दुर्लभ स्तंभ बना हुआ है? : आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

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क्या भारत अस्थिर दुनिया में स्थिरता का दुर्लभ स्तंभ बना हुआ है? : आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

सारांश

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चौथे कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा कि भारत, व्यापार विवादों और भू-राजनीतिक झटकों के बावजूद, वैश्विक अस्थिरता में एक स्थिरता का स्तंभ है। उन्होंने मजबूत मैक्रोइकॉनमिक आधार और सुधारों की गति पर ध्यान दिया।

Key Takeaways

  • भारत अस्थिर विश्व में स्थिरता का स्तंभ है।
  • नीतिकीय निरंतरता और सुधारों की गति ने भारत को बचाने में मदद की।
  • कम महंगाई और स्वस्थ विदेशी मुद्रा भंडार भारत की ताकत हैं।
  • उच्च टैरिफ और बढ़ता सार्वजनिक ऋण जोखिम पैदा कर रहे हैं।
  • सोने की कीमतें वैश्विक अनिश्चितता का बैरोमीटर बन गई हैं।

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि व्यापार विवाद और भू-राजनीतिक झटकों के बावजूद, 'भारत' अस्थिर दुनिया में स्थिरता का एक दुर्लभ स्तंभ बना हुआ है।

चौथे कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में अपने संबोधन में, आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि नीतिकीय निरंतरता, संस्थागत मजबूती और सुधारों की गति ने भारत को गंभीर वित्तीय संकट से बचने में मदद की है और यह तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।

उन्होंने अमेरिका के टैरिफ विवाद और अन्य वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बीच के अंतर को उजागर किया।

मल्होत्रा ने कहा, "भारत के मैक्रोइकॉनमिक आधार मजबूत बने हुए हैं, जिसमें कम महंगाई, स्वस्थ विदेशी मुद्रा भंडार, कम चालू खाता घाटा और बैंकों तथा कॉर्पोरेट कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट शामिल हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "यह सरकार के नीति निर्माताओं, नियामकों और विनियमित संस्थाओं की संयुक्त कोशिशों का परिणाम है। हाल की चुनौतियों के बावजूद, अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि के संतुलन में अच्छी तरह से स्थापित होती दिख रही है।"

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि पिछले दो दशकों में, केंद्रीय बैंकों को मूल्य स्थिरता के रक्षक से लेकर लगातार झटकों के युग में पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में भूमिका निभाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसमें 2008 का वित्तीय संकट, यूरोजोन का कर्ज संकट, कोरोना महामारी, यूक्रेन-रूस का युद्ध और जलवायु संबंधी व्यवधान शामिल हैं।

उन्होंने कहा, "आप तूफान को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन आप निश्चित रूप से नाव को सही दिशा में ले जा सकते हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में अपनी वास्तविक क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाएगी। उच्च टैरिफ, बढ़ता सार्वजनिक ऋण और इक्विटी बाजार में निवेशकों की लापरवाही ऐसे जोखिम पैदा कर रहे हैं जो पूरी तरह से आकलित नहीं किए गए हैं।

आरबीआई गवर्नर ने बताया, "सोने की कीमतें वैश्विक अनिश्चितता के एक बैरोमीटर के रूप में तेल की कीमतों की तरह व्यवहार कर रही हैं।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत ने पिछले वर्षों में वैश्विक अस्थिरता के बीच अपनी ताकत को साबित किया है। इसके पीछे की वजह नीतियों और सुधारों की निरंतरता है। हमें इस दिशा में आगे बढ़ते रहना होगा।
NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता का क्या महत्व है?
भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता न केवल घरेलू विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आरबीआई गवर्नर ने किस मुद्दे पर बात की?
आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक अस्थिरता, व्यापार विवादों और भारत की मजबूत मैक्रोइकॉनमिक स्थिति पर चर्चा की।