क्या हमने नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों को नहीं, आतंकवाद को निशाना बनाया? : राजनाथ सिंह

सारांश
Key Takeaways
- राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को स्पष्ट किया।
- भारत का रक्षा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है।
- भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
हैदराबाद, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को हैदराबाद में जैन इंटरनेशनल ट्रेड कम्युनिटी (जेआईटीओ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 में 'ऑपरेशन सिंदूर' को अपने नागरिकों और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए भारत के दृढ़ संकल्प का प्रभावी प्रदर्शन बताया।
उन्होंने कहा, "जब भी भारत का गौरव और सम्मान दांव पर लगा, हमने कभी कोई समझौता नहीं किया। जब हमने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया, तो हमने आतंकवादियों का धर्म नहीं पूछा, हमने आतंकवाद को निशाना बनाया, न कि नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों को।"
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति का उद्देश्य दूसरों पर प्रभुत्व स्थापित करना नहीं है, बल्कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों, आध्यात्मिक परंपराओं और भगवान महावीर द्वारा सिखाए गए मानवीय आदर्शों की रक्षा करना है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात जो 2014 में लगभग 600 करोड़ रुपए था, आज बढ़कर 24,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। 2029 तक यह 50,000 करोड़ रुपए को पार कर जाएगा।
उन्होंने कहा, "तेजस लड़ाकू विमानों से लेकर आकाश मिसाइलों और अर्जुन टैंकों तक, हमारे सशस्त्र बलों को तेजी से भारत में निर्मित प्लेटफार्मों से सुसज्जित किया जा रहा है।"
राजनाथ सिंह ने इसे 'आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा' का प्रमाण बताते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 97 हल्के लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए हुए हालिया समझौते का उल्लेख किया, जिसमें 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है।
उन्होंने कहा, "आज भारत खिलौनों से लेकर टैंकों तक, सब कुछ बनाता है। भारत तेजी से दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की फैक्ट्री के रूप में उभरेगा, और यह सब इसलिए संभव होगा क्योंकि सरकार की नीयत स्वच्छ है और उसकी नीतियां राष्ट्रहित में हैं।"
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने भारत की आर्थिक वृद्धि की भी चर्चा की क्योंकि यह देश वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद के साथ, यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्टों को संदर्भित करते हुए उन्होंने कहा कि औसत विकास दर के आधार पर, भारत 2038 तक क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के द्वारा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।