क्या जंग का मैदान अब डेटा और एल्गोरिदम में लड़ा जाने लगा है? : राजनाथ सिंह

सारांश
Key Takeaways
- आज का युद्ध डेटा और एल्गोरिदम में लड़ा जा रहा है।
- रक्षा मंत्री ने 3 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन लक्ष्य रखा है।
- निजी क्षेत्र का योगदान 33,000 करोड़ रुपए से अधिक है।
- राज्य सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- रक्षा मंत्रालय ने कई नीतिगत सुधार किए हैं।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान समय में, युद्ध के मैदान से पहले, युद्ध, डेटा और एल्गोरिदम में लड़ा जा रहा है। इसलिए फ्रंटियर टेक्नोलॉजी में हमें भौतिक निवेश से कहीं अधिक, बौद्धिक निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। नवाचार और आधुनिक टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। मंगलवार को यह बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक राष्ट्रीय सम्मेलन में कहीं, जिसका विषय था ‘देश में रक्षा निर्माण के अवसर’।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य बहुत बड़ा है। हमने कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। 2029 तक हमें कम से कम 3 लाख करोड़ रुपए का रक्षा उत्पादन करना है और 50,000 करोड़ रुपए तक का रक्षा निर्यात करना है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, हम अपनी नीतियों में निरंतर सुधार कर रहे हैं। इस वर्ष, यानी 2025 को रक्षा मंत्रालय ने ‘सुधार का वर्ष’ घोषित किया है। यह स्पष्ट है कि हमारे लक्ष्यों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, हमारे प्रयासों का परिणाम यह है कि हमारा रक्षा उत्पादन, जो 2014 में केवल 46,425 करोड़ रुपए था, अब बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है। इसमें से 33,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान निजी क्षेत्र से आ रहा है, जो यह दर्शाता है कि आत्मनिर्भर भारत के इस अभियान में निजी उद्योग भी सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे हैं। इस भागीदारी का फल यह है कि भारत का रक्षा निर्यात, जो दस वर्ष पहले 1,000 करोड़ रुपए से भी कम था, अब बढ़कर 23,500 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
उन्होंने राज्यों की भूमिका का महत्व बताते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, जब देश में मॉक ड्रिल की आवश्यकता पड़ी, तो सभी राज्य सरकारों और उनकी एजेंसियों ने इसमें पूरी सक्रियता से भाग लिया। यह इस बात का प्रमाण है कि जब हम सब एकजुट होकर किसी लक्ष्य की दिशा में बढ़ते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रह जाती।
उन्होंने कहा कि जब देश की रक्षा की बात आती है, तो यह केवल केंद्र सरकार का दायित्व नहीं होता, बल्कि यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक दायित्व बन जाता है। रक्षा सुरक्षा हमारी साझा जिम्मेदारी है। रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाना किसी एक संस्था या सरकार का कार्य नहीं, बल्कि पूरे भारत का साझा संकल्प है। जब हम मिलकर काम करते हैं, तो कोई लक्ष्य बड़ा नहीं रह जाता।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जिन राज्य सरकारों ने रक्षा भूमि के बदले समान मूल्य की भूमि अभी तक मंत्रालय को नहीं दी है, वे शीघ्र ही वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराएं ताकि हमारे सशस्त्र बलों की ऑपरेशनल तैयारियां प्रभावित न हों। उन्होंने कहा कि जो राज्य सरकारें रक्षा भूमि पर जन उपयोग के निर्माण के लिए अनुमति मांगती हैं, उनके लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है ताकि वे अपने प्रस्ताव वहां अपलोड कर सकें। इस पोर्टल का सही उपयोग आवश्यक है ताकि समयबद्ध तरीके से कार्य किया जा सके।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यदि आपके पास इच्छा शक्ति, सही नीतियां, कुशल मानव संसाधन और देशहित में कुछ नया करने का संकल्प है, तो रक्षा क्षेत्र में अवसरों की कोई कमी नहीं है। इसलिए मैं आप सभी से अपेक्षा करता हूं कि आप डिफेंस कॉरिडोर से आगे बढ़ते हुए अपने-अपने राज्यों में डिफेंस ईकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए नए विचारों और योजनाओं की ओर आगे बढ़ें। रक्षा मंत्रालय हमेशा आपके साथ है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले 10-11 वर्षों में रक्षा क्षेत्र में कई नीतिगत सुधार किए हैं। इस कार्यक्रम के दौरान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘डिफेंस एक्ज़िम पोर्टल’ का शुभारंभ किया। इसे निर्यात और आयात प्राधिकरण जारी करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अतिरिक्त, भारतीय रक्षा उद्योगों की क्षमताओं और उत्पादों के डिजिटल संग्रह सृजन-डीईईपी (डिफेंस इस्टेब्लिशमेंटस एंड इंटरप्रेन्योरस प्लेटफार्म) पोर्टल की भी शुरुआत की गई।