क्या नेत्रों के लिए सिर्फ श्रृंगार नहीं, शुद्ध अंजन संस्कार है? जानें इसके उपयोग के लाभ

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क्या नेत्रों के लिए सिर्फ श्रृंगार नहीं, शुद्ध अंजन संस्कार है? जानें इसके उपयोग के लाभ

सारांश

क्या आप जानते हैं कि काजल केवल श्रृंगार का साधन नहीं है? जानिए शुद्ध अंजन के लाभ और इसे कैसे बनाना चाहिए। यह आंखों की सुरक्षा और स्वास्थ्य में कैसे सहायक है, इस बारे में जानकारी प्राप्त करें।

Key Takeaways

  • काजल सिर्फ श्रृंगार नहीं, बल्कि आंखों की देखभाल का साधन है।
  • शुद्ध अंजन आंखों की थकान को कम करता है।
  • आयुर्वेदिक अंजन को सही तरीके से बनाना आवश्यक है।
  • आंखों की देखभाल के लिए शुद्ध अंजन का उपयोग करें।
  • आंखों में किसी भी संक्रमण की स्थिति में अंजन का उपयोग न करें।

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। काजल को लेकर आजकल कई प्रकार की धारणाएं प्रचलित हैं कि इसका उपयोग आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।

हालांकि, आयुर्वेद में काजल को केवल श्रृंगार का साधन नहीं, बल्कि आंखों की देखभाल का एक महत्वपूर्ण तत्व माना गया है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि काजल किस प्रकार से निर्मित किया गया है। सामान्यतः बाजार में मिलने वाले काजल में लेड (सीसा) की अधिकता होती है, जो आंखों के लिए घातक साबित हो सकता है। जबकि आयुर्वेद में काजल को नेत्रों के संरक्षण का एक साधन माना जाता है।

आयुर्वेद में काजल को अंजन कहा जाता है, जिसे नेत्र संस्कार से जोड़ा गया है। अंजन आंखों की सुरक्षा, शुद्धता, थकान को कम करने, दूषित कफ को हटाने और गंदगी को बाहर निकालने में सहायता करता है। आयुर्वेद में शुद्ध अंजन बनाने की विधि बताई गई है, जिसे कपास की बाती, बादाम पाउडर, शुद्ध घी, मिट्टी का दीया और तांबे के बर्तन का उपयोग करके तैयार किया जाता है।

आयुर्वेदिक तरीके से निर्मित अंजन आंखों की सूजन और स्क्रीन पर देखने से होने वाली थकान को कम करने में सहायक है। वर्तमान समय में अधिकांश कार्य मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से किए जाते हैं। अंजन में उपस्थित घी और बादाम आंखों को नमी प्रदान करते हैं और जलन व थकान को कम करते हैं।

अंजन में मौजूद बादाम और देसी घी आंखों की कोशिकाओं को बेहतर पोषण प्रदान करते हैं, जो उनकी रोशनी में सुधार करने में मदद करते हैं।

शुद्ध अंजन का उपयोग करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है। इसे सीमित मात्रा में और विवेकपूर्ण तरीके से आंखों में लगाएं। आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि जो आंखों में चुभता नहीं है, वही असली सौंदर्य है। ध्यान रखें कि यदि आंखों में किसी प्रकार की बीमारी या संक्रमण है, तो शुद्ध अंजन का उपयोग करने से बचें। मोतियाबिंद या संक्रमण की स्थिति में चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका प्रयोग करें।

शुद्ध अंजन की पहचान भी महत्वपूर्ण है। शुद्ध अंजन में कोई महक नहीं होती है और इसमें रासायनिक तत्व नहीं होते हैं। यदि अंजन आंखों में लगाने पर चुभन महसूस होती है, तो समझें कि इसे शुद्धता से नहीं बनाया गया है और इसमें हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया गया है।

Point of View

जिसे आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। हालाँकि, आधुनिक समय में इसे लेकर कुछ भ्रांतियाँ हैं, जिन्हें दूर करना आवश्यक है। सच्चे विज्ञान और अनुभव के आधार पर, शुद्ध अंजन का सही उपयोग हमारे नेत्र स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या काजल आंखों के लिए हानिकारक होता है?
यदि काजल में लेड या अन्य हानिकारक रसायन होते हैं, तो यह हानिकारक हो सकता है। लेकिन आयुर्वेद में शुद्ध अंजन को आंखों के लिए फायदेमंद माना जाता है।
आयुर्वेद में अंजन कैसे बनाया जाता है?
आयुर्वेद में शुद्ध अंजन बनाने के लिए कपास, बादाम पाउडर, शुद्ध घी और मिट्टी के दीए का उपयोग किया जाता है।
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