क्या हाथ-पैरों में झनझनाहट और सुस्ती से परेशान हैं? पर्वतासन से मिलेगी राहत!
सारांश
Key Takeaways
- पर्वतासन रक्त संचार को तेज करता है।
- यह कंधे और गर्दन के दर्द को कम करता है।
- सिर्फ 5-10 मिनट का अभ्यास लाभकारी है।
- यह तनाव और चिंता को कम करता है।
- गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब सर्दी का मौसम शुरू होता है, तो हाथ-पैरों में ठंडक, शरीर में सुस्ती और ब्लड सर्कुलेशन की कमी एक आम समस्या बन जाती है। यदि आप गर्म चीजें खाने के बावजूद भी हाथ-पैरों में झनझनाहट महसूस कर रहे हैं, तो पर्वतासन का अभ्यास करना आपके लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय पर्वतासन को एक सरल और प्रभावी उपाय मानता है। नियमित रूप से पर्वतासन का अभ्यास करने से कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। यह रक्त संचार को तेज करता है, कंधों को मजबूत बनाता है और कई पुरानी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
पर्वतासन, जिसे पहाड़ की मुद्रा कहा जाता है, इसे वज्रासन या पद्मासन में बैठकर किया जाता है, जिससे हर उम्र के लोग आसानी से इसका अभ्यास कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, पर्वतासन का सही तरीका यह है कि सबसे पहले वज्रासन या सुखासन की स्थिति में आराम से जमीन पर बैठें। फिर दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर उंगलियों को एक साथ लॉक करें। गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचें, कंधे को कान से दूर रखें और पीठ और कमर को सीधे रखें। इस स्थिति में 15 से 20 सेकंड तक रहें और गहरी सांस लें। फिर धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाएं और सामान्य स्थिति में वापस आएं। इसे 5 से 10 बार दोहराएं।
पर्वतासन के अभ्यास से मिलने वाले लाभों की सूची बहुत लम्बी है। यह रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे हाथ-पैर गर्म रहते हैं। कंधे, गर्दन और कमर का दर्द कम होता है, फेफड़े मजबूत होते हैं, और सांसों में गहराई आती है। रीढ़ की हड्डी को लचीला और सीधा रखता है। यह थायरॉइड और डायबिटीज में भी सहायक है। साथ ही, तनाव, चिंता और सिरदर्द को कम करता है। पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और अपच की समस्या को दूर करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि केवल 5 से 10 मिनट का पर्वतासन अभ्यास करने से शरीर में अद्भुत परिवर्तन होता है। यह एक प्रभावी योगाभ्यास है। लेकिन कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज, कंधे या गर्दन में गंभीर चोट वाले लोग, चक्कर आने की समस्या, और गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह के बिना इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।