क्या पत्थरचट्टा पथरी और यूटीआई के संक्रमण को कम करने में सहायक है?
सारांश
Key Takeaways
- पत्थरचट्टा पथरी और मूत्र संक्रमण के लिए उपयोगी है।
- इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
- इसे आसानी से किचन गार्डन में उगाया जा सकता है।
- पत्थरचट्टा का काढ़ा बीपी में लाभकारी है।
- गर्भवती महिलाओं को सलाह लेना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में ऐसे कई पौधों का उल्लेख किया गया है, जिनका उपयोग सदियों से स्वास्थ्य के लिए किया जा रहा है।
इनमें से पत्थरचट्टा एक महत्वपूर्ण पौधा है, जिसका उपयोग पथरी, मूत्र संक्रमण और रक्तचाप जैसी समस्याओं के समाधान में किया जाता है।
पत्थरचट्टा को पाषाण भेद के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम इसके पथरी से निजात दिलाने वाले गुणों के कारण है। इसके फूलों का काढ़ा और पत्ते विभिन्न बीमारियों के इलाज में सहायक होते हैं। पत्थरचट्टा एक ऐसा पौधा है जिसे किसी भी किचन गार्डन में आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी देखभाल सरल है, क्योंकि यह बारहमासी पौधा है।
इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो सूजन कम करने, घाव भरने, पथरी तोड़ने, पाचन सुधारने, और त्वचा व बालों के लिए फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में इसके इस्तेमाल के कई तरीके बताए गए हैं।
यदि आपको बीपी की समस्या है, तो इसके पत्तियों का काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है। आप इन पत्तों को चाय में डालकर भी ले सकते हैं। पथरी के लिए पत्थरचट्टा का काढ़ा एक प्रभावी उपाय है। यह काढ़ा शरीर में मौजूद पथरी को तोड़ने में मदद करता है और सूजन भी कम करता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
पत्थरचट्टा के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण घाव भरने में मदद करते हैं और संक्रमण फैलने से रोकते हैं। घाव पर इसकी पत्तियों का लेप लगाने की सलाह दी जाती है। यदि आपको बार-बार मूत्र संक्रमण की समस्या होती है, तो पत्थरचट्टा के फूलों का काढ़ा लाभकारी हो सकता है। यह मूत्र मार्ग के संक्रमण को कम करने में सहायक है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।