क्या पीला कफ शरीर में संक्रमण का संकेत है? जानिए इन आयुर्वेदिक उपायों से मिल सकती है राहत
सारांश
Key Takeaways
- पीला कफ संक्रमण का संकेत हो सकता है।
- 10 दिन से अधिक रहने पर डॉक्टर से सलाह लें।
- भाप लेना कफ से राहत के लिए प्रभावी है।
- हल्दी और मुलेठी जैसे घरेलू उपाय करें।
- तुलसी का अर्क भी फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 9 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जैसे ही सर्दियों का मौसम आना शुरू होता है, बच्चों से लेकर वयस्कों तक कई लोग संक्रमण, सर्दी-बुखार और जकड़न का शिकार हो जाते हैं। इस मौसम में सबसे ज्यादा समस्या शरीर में कफ बनने की होती है।
कभी-कभी कफ का रंग पीला हो जाता है, जो शरीर में मौजूद संक्रमण या सूजन का संकेत देता है। हालांकि कफ बनने के प्रारंभिक दिनों में चिंता की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कफ 10 या उससे अधिक दिनों तक पीले रंग का बना रहता है और उसके साथ बुखार और सर्दी के लक्षण भी हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
आयुर्वेद के अनुसार, इसे कफ और पित्त दोष के संतुलन के रूप में देखा जाता है। जब श्वेत रक्त कोशिकाएँ शरीर में संक्रमण से लड़ती हैं और समाप्त हो जाती हैं, तो कफ का रंग पीला हो जाता है। यह संकेत करता है कि हमारा शरीर इंफ्लेमेशन और संक्रमण से जूझ रहा है।
आयुर्वेद में कफ को नियंत्रित करने के लिए कई घरेलू और देसी उपाय बताए गए हैं, जैसे कि भाप लेना। भाप लेने से शरीर में जकड़न और कफ दोनों से राहत मिलती है। भाप लेते समय ध्यान रखें कि कफ की समस्या होने पर मुंह खोलकर भाप लें, जिससे कफ बाहर निकलने लगे।
हल्दी वाला दूध भी कफ में राहत देता है। रात में कच्ची हल्दी और दूध को उबालकर पीने से लाभ होता है। इससे शरीर गर्म रहता है और कफ निकलने लगता है। हल्दी कफ के कारण होने वाली सूजन को भी कम करती है। मुलेठी का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम लिया जा सकता है या दिन के समय मुलेठी को चबाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, तुलसी का अर्क शहद के साथ लिया जा सकता है। इसके लिए तुलसी के पत्तों को पीसकर उसमें शहद और सोंठ मिलाकर हल्का गर्म कर लें। दिन में तीन बार इसका सेवन किया जा सकता है। यह नुस्खा बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए फायदेमंद है।