क्या 'पंचकोल' पेट के लिए ही नहीं, इम्यूनिटी बूस्टर भी है?

सारांश
Key Takeaways
- पंचकोल में पाँच जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं।
- यह पेट की समस्याओं का उपचार करता है।
- पंचकोल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
- यह श्वसन संबंधी रोगों में भी लाभकारी है।
- सर्दी-जुकाम में राहत देने में प्रभावी।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान की जीवनशैली इतनी जटिल हो चुकी है कि लोग घंटों एक ही स्थान पर बैठकर काम करने को मजबूर हैं। इस शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण पेट से संबंधित समस्याएं अब छोटी उम्र से ही लोगों को परेशान कर रही हैं।
लंबे समय तक बैठना, भोजन के बाद सो जाना या शारीरिक क्रियाओं की कमी से एसिडिटी, पेट का फूलना, बवासीर, लिवर में सूजन या पेट से जुड़ी अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं के लिए आयुर्वेद में एक ठोस उपाय है - पंचकोल। पंचकोल में पांच जड़ी-बूटियों का समावेश होता है जैसे पिप्पली की जड़, चाव, पिप्पली, चित्रक और नागरमोथा। यह जड़ी-बूटियाँ पेट की समस्याओं के खिलाफ लड़ने की अद्भुत शक्ति रखती हैं।
पंचकोल को आयुर्वेद में एक विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि यह पेट के रोगों का उपचार करता है और अधिकांश रोगों की जड़ पेट में होती है। आयुर्वेद में पंचकोल के सेवन की विधियाँ भी वर्णित की गई हैं।
पंचकोल के सेवन से भूख में वृद्धि होती है, पेट दर्द से राहत मिलती है और पेट की जठराग्नि भी बढ़ जाती है, जिससे भोजन का पाचन सही तरीके से होता है। पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए यह पंचकोल का चूर्ण, गुनगुने पानी के साथ सुबह और शाम लिया जा सकता है।
इसके अलावा, पंचकोल श्वसन संबंधी रोगों में भी राहत प्रदान करता है। दमा और सांस लेने में कठिनाई के दौरान भी इसका सेवन किया जा सकता है। इसके लिए पंचकोल का काढ़ा बनाकर पीना लाभदायक होता है।
सर्दी या खांसी-जुकाम में भी पंचकोल बेहद प्रभावी है। इन जड़ी-बूटियों की गर्म तासीर से कफ में राहत मिलती है। खांसी के लिए इसे शहद के साथ लेने से कफ में आराम मिलता है और सांस लेने में सहूलियत होती है।
पंचकोल रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सुदृढ़ करता है और मौसम बदलने पर होने वाले संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है।