क्या 'सेतुबंधासन' ऑफिस वालों के लिए वरदान है, कमर और रीढ़ दर्द से राहत दिलाने में?

सारांश
Key Takeaways
- सेतुबंधासन पीठ और रीढ़ के दर्द को कम करता है।
- यह मानसिक तनाव में सुधार करता है।
- महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दर्द में राहत देता है।
- आसन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
- नियमित अभ्यास से पाचन क्रिया में सुधार होता है।
नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की भागदौड़, तनाव, और काम का दबाव हमारे शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। बहुत से लोग अपनी सेहत की अनदेखी कर देते हैं, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन, नींद का ना आना, और पाचन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यदि हम प्रतिदिन थोड़ा सा समय योग के लिए निकालें, तो ये परेशानियाँ काफी हद तक कम हो सकती हैं। योग केवल शरीर को लचीला या मजबूत बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है। कई योगासनों में से एक आसन है– 'सेतुबंधासन', जिसे ब्रिज पोज भी कहा जाता है। यह आसन विशेष रूप से कार्यालय में काम करने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो दिनभर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, सेतुबंधासन पीठ, रीढ़ की हड्डी और गर्दन को मजबूती प्रदान करता है, जिससे लंबी अवधि तक बैठने से उत्पन्न होने वाला दर्द कम होता है। इसके अतिरिक्त, यह आसन मानसिक तनाव को भी घटाने में सहायक होता है। यदि आप अक्सर थका हुआ या बेचैनी महसूस करते हैं, तो इस आसन का अभ्यास आपके लिए लाभकारी हो सकता है। यह न केवल दिमाग को शांत करता है, बल्कि हार्मोन का संतुलन भी बनाए रखता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और नींद में सुधार होता है।
इस आसन को करने से शरीर में खिंचाव उत्पन्न होता है, जिससे मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और थकान दूर होती है। इसके साथ ही यह पेट, फेफड़ों और थायराइड ग्रंथि पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
सेतुबंधासन से पाचन क्रिया में सुधार होता है और श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। इस आसन का नियमित अभ्यास करने से हार्मोन से संबंधित समस्याएं भी धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
महिलाओं के लिए यह योगासन मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं को भी कम करता है, जैसे पेट दर्द, थकान या मूड स्विंग। मेनोपॉज की स्थिति में भी यह आसन मन को शांति देता है और शरीर को आराम प्रदान करता है।
इसके अलावा, यह टांगों, टखनों और हिप्स की मांसपेशियों को भी मजबूती प्रदान करता है, जिससे चलने-फिरने में आसानी होती है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले चटाई पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को शरीर के पास रखें और हथेलियां जमीन से सटी हों। अब घुटनों को मोड़ लें और पैरों को धीरे-धीरे कूल्हों के पास ले आएं। गहरी सांस लेते हुए धीरे से अपने हिप्स को ऊपर उठाएं, ताकि शरीर एक पुल की तरह दिखाई दे। कुछ समय इसी स्थिति में रहें और सांस को सामान्य बनाए रखें। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापस लेट जाएं। मात्र कुछ मिनट इस आसन का अभ्यास करने से शरीर और मन दोनों को आराम मिलता है।