क्या शरपुंखा पित्त, लिवर और पेट की समस्याओं का एक प्राकृतिक उपचार है?

सारांश
Key Takeaways
- शरपुंखा पित्त, लिवर और पेट की समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
- यह पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है।
- इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
- घावों के उपचार में सहायक।
- मूत्र संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। औषधीय गुणों से समृद्ध शरपुंखा का वैज्ञानिक नाम ट्रेफसिया परप्यूरिया है। यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर सूखे और पथरीले स्थानों में पाया जाता है। इसे आमतौर पर कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत दिलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
यह एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है, जिसकी ऊंचाई सामान्यतः 30 से 60 सेंटीमीटर तक होती है। इसकी टहनियां अक्सर फैलती हैं। इसकी पत्तियां हल्के हरे रंग की और छोटी होती हैं, जो बारीक रूप से कटी हुई लगती हैं। इसके फूल गुलाबी, बैंगनी या लाल-बैंगनी रंग के होते हैं और ये छोटे गुच्छों में खिलते हैं। एक सफेद फूलों वाली प्रजाति भी होती है। फूल के बाद इसमें छोटी, सीधी फलियां लगती हैं, जिनमें छोटे बीज होते हैं।
आयुर्वेद में शरपुंखा को लिवर के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह पाचन तंत्र के लिए भी लाभकारी होता है। यह खांसी और श्वसन संबंधी समस्याओं में भी सहायक है। यह लिवर को डिटॉक्स करके विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे लिवर की कार्यक्षमता में सुधार होता है। शरपुंखा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। शरपुंखा के फूल को पीसकर शहद में मिलाकर घावों पर लेप करने से घाव जल्दी ठीक होते हैं।
शरपुंखा से विभिन्न प्रकार के घावों का इलाज किया जा सकता है। यह शरीर पर होने वाले फोड़े फुंसी को ठीक करने में सहायक है। इसके प्रयोग से दांतों और मसूड़ों की सभी समस्याओं को हल किया जा सकता है। हालांकि, इसका उपयोग चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए। यह रक्त को शुद्ध करने में भी मदद करता है, जिससे त्वचा और शरीर के अन्य अंगों को लाभ होता है।
यह मूत्र संबंधी समस्याओं, जैसे कि मूत्र संक्रमण और पेशाब के दौरान होने वाली दर्द या जलन को कम करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, प्रयोग से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है।