क्या शीत ऋतु में सिर्फ गर्म कपड़े ही जरूरी हैं? इन खास तरीकों से करें शिशु की देखभाल

Click to start listening
क्या शीत ऋतु में सिर्फ गर्म कपड़े ही जरूरी हैं? इन खास तरीकों से करें शिशु की देखभाल

सारांश

क्या आप जानते हैं कि शीत ऋतु में शिशु की देखभाल के लिए केवल गर्म कपड़े ही पर्याप्त नहीं होते? इस लेख में हम आपको बताएंगे कुछ खास आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में जो आपके शिशु के लिए बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।

Key Takeaways

  • सर्दियों में शिशु को गर्म कपड़े पहनाना जरूरी है।
  • आयुर्वेदिक तेल मालिश से लाभ होता है।
  • बादाम का तेल सबसे अच्छा विकल्प है।
  • शिशु को धूप दिखाना न भूलें।
  • शिशु को स्तनपान कराना भी महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। शीत ऋतु का मौसम मां और शिशु दोनों के लिए सावधानी वाला समय होता है। खासकर मां को अपने शिशु की खास देखभाल की आवश्यकता होती है।

शीत ऋतु में केवल गर्म कपड़े पहनाकर ही शिशु का ध्यान नहीं रखा जाता, बल्कि कुछ अन्य आयुर्वेदिक तरीकों से शिशु को पोषण भी दिया जा सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, शीत ऋतु के दौरान बच्चे के स्वभाव में भी परिवर्तन आता है। शिशु थोड़ा चिड़चिड़ा हो जाता है, त्वचा में बहुत रूखापन आ जाता है, बालों में रूसी हो जाती है और नींद भी प्रभावित होती है। ऐसे में शिशु को स्नेह के साथ-साथ गर्माहट और तेल मालिश की जरूरत होती है।

आयुर्वेद में शिशु अभ्यंग को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसके लिए एक दिन छोड़कर बादाम (जो कड़वा न हो) के तेल से बच्चे की मालिश करनी चाहिए। पहले सिर, फिर हाथ, उसके बाद पैर, छाती और पीठ की मालिश करनी चाहिए। ये मालिश करने का एक सही तरीका है। ऐसा करने से शिशु के शरीर में रक्त संचार बढ़ता है, हड्डियों को पोषण मिलता है, और शरीर को गर्माहट भी मिलती है। मालिश के बाद शिशु को सूती कपड़े में या तौलिये में लपेटें और धूप दिखाना न भूलें।

शीत ऋतु में शिशुओं के सिर पर रूखापन जम जाता है जो स्कैल्प से बुरी तरीके से चिपक जाता है। ऐसे में हफ्ते में दो बार शिशु के सिर पर गुनगुने तेल से मालिश जरूर करें और हल्के हाथ से रूसी को हटाने का प्रयास करें। ऐसा करने से शिशु को आराम मिलेगा और उसे अच्छे से नींद भी आएगी। अभ्यंग के तुरंत बाद शिशु को कभी नहीं नहलाना चाहिए। तकरीबन आधे घंटे बाद शिशु को हमेशा हल्के गुनगुने पानी से सौम्यता के साथ नहलाना चाहिए, जिसके बाद शिशु को पहले सूती कपड़े पहनाएं और फिर बाद में सर्दी के ऊनी कपड़े पहनाएं।

शिशु की त्वचा बहुत कोमल होती है। ऊनी या गर्म कपड़े उनकी त्वचा पर खुजली की समस्या कर सकते हैं।

शिशु की मानसिक और शारीरिक वृद्धि के लिए नींद बहुत जरूरी है। मालिश और नहाने के बाद शिशु को अच्छी नींद आती है। ऐसे में मालिश के बाद माताएं बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। साथ ही जब शिशु सो जाए तो उसके तलवों पर गुनगुना घी जरूर लगाएं, इससे शिशु के शरीर में गर्माहट बनी रहेगी और तलवे भी कोमल रहेंगे।

Point of View

यह कहना चाहूंगा कि शीत ऋतु में शिशुओं की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है। उचित देखभाल और पोषण से हम न केवल उनके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि उनके विकास में भी मदद कर सकते हैं।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

शीत ऋतु में शिशु की देखभाल के लिए सबसे अच्छा तेल कौन सा है?
बादाम का तेल सबसे अच्छा होता है क्योंकि यह गर्म होता है और त्वचा को नर्म रखता है।
क्या अभ्यंग से शिशु को लाभ होता है?
हाँ, अभ्यंग से रक्त संचार बेहतर होता है और शिशु को गर्माहट मिलती है।
शिशु को कब नहलाना चाहिए?
मालिश के आधे घंटे बाद हल्के गुनगुने पानी से नहलाना चाहिए।
Nation Press