सुबह इन आदतों को अपनाने से क्या रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी?
सारांश
Key Takeaways
- सुबह गुनगुने पानी का सेवन करें।
- 4-5 बादाम का रोज़ाना सेवन करें।
- तुलसी के पत्ते चबाएं।
- योग और प्राणायाम करें।
- सुबह मौन रहें और अपने शरीर को सुनें।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान समय में हमारी जीवनशैली अक्सर पौष्टिक आहार को नजरअंदाज करती है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। कम पौष्टिक भोजन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिससे हम विभिन्न बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना अत्यंत आवश्यक है। यह हमारे शरीर का एक सुरक्षा कवच है, जो हमें हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है। आज हम सुबह की कुछ आदतों के बारे में चर्चा करेंगे, जो आपकी जीवनशैली में सरलता से सुधार लाएंगी।
पहला, अपने शरीर को डिटॉक्स करना। आयुर्वेद में शरीर को शुद्ध करने की प्रक्रिया का महत्त्व बताया गया है। इसके लिए सुबह की शुरुआत गुनगुने पानी से करें। गुनगुने पानी के साथ मेथी या धनिए के बीज लेना भी लाभकारी होता है। ये आंतों को साफ करने और हॉर्मोन संतुलित करने में सहायक होते हैं।
दूसरा, सुबह 4-5 बादाम का सेवन करें। रात को बादाम भिगोकर रखें और सुबह छिलका निकालकर खाएं। ये मस्तिष्क की कोशिकाओं को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में मदद करते हैं।
तीसरा, तुलसी के पत्ते चबाना। सर्दियों में तुलसी के पत्ते चबाना लाभकारी होता है क्योंकि इनमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं। ये सर्दी से होने वाले संक्रमण, खांसी और जुकाम से बचाते हैं।
चौथा, योग और प्राणायाम करें। सुबह कम से कम 20 मिनट अपने लिए निकालें। हल्की स्ट्रेचिंग और प्राणायाम करें। यह शरीर की जकड़न को कम करने और मन को तरोताजा करने में मदद करता है। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण के कारण घर के अंदर प्राणायाम करना अधिक उचित है।
पांचवां, सुबह के समय मौन रहकर अपने दिल और दिमाग को तनावमुक्त रखने के लिए अपने शरीर को सुनें। मौन साधना एक ऐसा तरीका है जिससे शरीर को बूस्ट और रीस्टार्ट करने में मदद मिलती है।
अब जानिए कि क्या नहीं करना चाहिए। सुबह उठते ही भारी भोजन से बचें और चाय तथा कॉफी का सेवन ना करें। ये आदत पाचन तंत्र को प्रभावित करती है और मेटाबॉलिज्म को धीमा करती है, जिससे शरीर में आलस्य का संचार होता है।