क्या सुबह की कॉफी <b>थॉयराइड</b> की समस्या को बढ़ा रही है? जानें कैसे करें काबू
सारांश
Key Takeaways
- थॉयराइड केवल दवाओं से ठीक नहीं होता।
- संतुलित आहार और जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं।
- चीनी और कैफीन का सेवन सीमित करें।
- थोड़ा-थोड़ा खाकर समय पर खाना खाएं।
- पर्याप्त नींद और हल्का व्यायाम करें।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के तेज़ी से बदलते समय में थॉयराइड की समस्या बहुत आम हो गई है। पहले यह बीमारी मुख्य रूप से युवाओं में देखी जाती थी, लेकिन अब यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। इसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली, खराब खानपान, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी है।
आयुर्वेद और विज्ञान दोनों का मानना है कि थॉयराइड केवल दवाओं से ठीक होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह शरीर के संपूर्ण संतुलन से जुड़ी समस्या है। हार्मोन को संतुलित रखने के लिए खानपान और आदतों में सुधार करना आवश्यक है।
आयुर्वेद के अनुसार, थॉयराइड की समस्या मुख्यत: अग्नि (पाचन) और कफ दोष के असंतुलन से संबंधित होती है। जब पाचन कमजोर होता है, तो शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं, जिससे हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है। विज्ञान भी कहता है कि थॉयराइड के रोगियों में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इस स्थिति में कुछ चीज़ों का अधिक सेवन समस्या को बढ़ा सकता है। विशेषकर चीनी, कैफीन और शराब का सेवन सीमित करना आवश्यक है।
आयुर्वेद में अत्यधिक मीठे स्वाद को कफ बढ़ाने वाला माना गया है। अधिक चीनी खाने से शरीर भारी हो जाता है, जिससे आलस्य और चर्बी का जमाव होता है। विज्ञान के अनुसार, अधिक शुगर इंसुलिन को प्रभावित करती है, जिससे वजन बढ़ता है और शरीर में सूजन होती है। थॉयराइड के रोगियों में पहले से ही वजन बढ़ने की समस्या होती है, जिससे मिठाई समस्या को और बढ़ा देती है। चीनी को कम करने से न केवल थॉयराइड संतुलित रहता है, बल्कि डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोग का खतरा भी कम होता है।
वहीं, आयुर्वेद में कैफीन को उत्तेजक माना गया है, जो लम्बे समय में स्नायु तंत्र और ग्रंथियों को थका देता है। वैज्ञानिक अनुसंधान बताते हैं कि कैफीन थॉयराइड ग्रंथि के कार्य में रुकावट डाल सकता है और दवाओं के प्रभाव को भी कम कर सकता है। सुबह खाली पेट कॉफी पीने से हार्मोन अचानक बढ़ जाते हैं, जिससे बेचैनी और थकान बढ़ती है। कॉफी का सेवन कम करने से थॉयराइड के साथ-साथ नींद, चिंता और रक्तदाब की समस्याओं में भी राहत मिलती है।
इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद में शराब को शरीर के लिए विष के समान माना गया है, जो अग्नि को कमजोर कर देती है। विज्ञान के अनुसार, शराब का सीधा प्रभाव लिवर पर पड़ता है। हमारा लिवर थॉयराइड हार्मोन को सक्रिय हार्मोन में बदलता है। जब शराब के कारण लिवर कमजोर होता है, तो यह प्रक्रिया सही ढंग से नहीं हो पाती और हार्मोनल असंतुलन बढ़ जाता है। शराब छोड़ने से थॉयराइड के साथ-साथ फैटी लिवर, एसिडिटी और मानसिक तनाव में भी सुधार होता है।
थॉयराइड से राहत पाने के लिए आयुर्वेद सादा भोजन करने की सलाह देता है। घर का बना खाना, समय पर भोजन, हल्का व्यायाम, और पर्याप्त नींद हार्मोन को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। विज्ञान भी मानता है कि जब शरीर को सही पोषण और आराम मिलता है, तो वह आत्म-उपचार करने लगता है।