क्या पश्चिमी प्रशांत में एचआईवी के मामलों में वृद्धि से स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- एचआईवी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
- रोकथाम के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।
- विशेष समूहों के लिए टेस्टिंग और इलाज जरूरी है।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही समस्या का समाधान संभव है।
- भेदभाव को खत्म करना आवश्यक है।
मनीला, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में हाल के वर्षों में एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फिलीपींस, फिजी और पापुआ न्यू गिनी में बढ़ते संक्रमण के प्रति गंभीर चेतावनी जारी की है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि देशों और पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।
बुधवार को फिजी में एक विशेष बैठक हुई, जिसमें पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के ३८ देशों और क्षेत्रों के स्वास्थ्य मंत्री, सामाजिक संगठनों और विकास सहयोगियों ने भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य क्षेत्र में एचआईवी संकट को समझना और रोकथाम को तेज करने के लिए ठोस उपायों पर चर्चा करना था। डब्ल्यूएचओ और यूएनएड्स एशिया-प्रशांत ने मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि एचआईवी को रोकने और उसका इलाज करने में तेजी लाई जा सके।
फिजी में पिछले दशक में नए एचआईवी मामलों में दस गुना वृद्धि हुई है। खासकर २०२४ में इस बीमारी में काफी उछाल देखा गया। विशेषज्ञों के अनुसार, इंजेक्टेबल ड्रग्स का इस्तेमाल इसका मुख्य कारण है। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह संक्रमण अन्य प्रशांत द्वीपों तक फैल सकता है।
फिलीपींस में २०१० से २०२४ के बीच नए एचआईवी मामलों में लगभग छह गुना बढ़ोतरी हुई है। इस संक्रमण का सबसे ज्यादा असर समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों पर पड़ा है। वहीं, पापुआ न्यू गिनी की सरकार ने महिलाओं और बच्चों में संक्रमण की दर लगातार बढ़ने के मद्देनजर इस साल जून में एचआईवी को राष्ट्रीय संकट घोषित किया।
डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में कहा, "इन देशों में एचआईवी रोकने के प्रयासों में कई कमियां हैं। लोगों का समय पर टेस्ट न होना और इलाज तक पर्याप्त पहुंच न होना समस्या को और बढ़ा रहा है।"
डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक सिया माउ पियुकाला ने कहा, "एचआईवी खत्म नहीं हुआ है और इसे रोकने के लिए विशेष रणनीतियों की जरूरत है। टेस्टिंग, इलाज और रोकथाम के प्रयासों को विशेष समूहों और प्रभावित क्षेत्रों के हिसाब से लागू करना बेहद जरूरी है।"
उन्होंने आगे कहा, "एचआईवी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में ४० साल हो चुके हैं और अब हम जानते हैं कि क्या करना है। लेकिन अब तुरंत और मिलकर कदम उठाने का समय है। हर सेकंड कीमती है।"
यूएनएड्स के क्षेत्रीय निदेशक इमोन मर्फी ने भी इस बात की पुष्टि की कि एचआईवी संकट के लिए और प्रभावी कदम उठाने की काफी जरूरत है।
मर्फी ने कहा, "अगर हम सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए एचआईवी सेवाओं में निवेश करेंगे, तो पूरे समाज की सेहत सुरक्षित रहेगी। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और जिम्मेदारी की जरूरत है। हर व्यक्ति का स्वास्थ्य, सम्मान और बिना भेदभाव के जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।"
बैठक में ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड और वियतनाम की भी तारीफ की गई। इन देशों ने एचआईवी फैलाव रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए, जैसे कि सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना और नई रणनीतियां लागू करना। इन देशों ने दिखाया कि अगर वैज्ञानिक तरीकों से रोकथाम और सार्वभौमिक एंटीरेट्रोवायरल इलाज को मिलाकर काम किया जाए, तो अच्छे परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
बैठक के अंत में कई सुझाव दिए गए और कहा गया कि एचआईवी को राष्ट्रीय एजेंडों में प्राथमिकता दी जाए। इंजेक्ट करने वाले ड्रग यूजर्स के लिए नुकसान कम करने वाले उपाय बढ़ाए जाएं। समय पर एचआईवी टेस्ट और इलाज सुनिश्चित किया जाए। इलाज के लिए पैसे जुटाने में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का उपयोग किया जाए। भेदभाव को खत्म किया जाए, क्योंकि ये टेस्ट और इलाज में बड़ी बाधा हैं।