क्या 7 अगस्त को दुनिया को मिला पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 'हार्वर्ड मार्क-वन'?

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क्या 7 अगस्त को दुनिया को मिला पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 'हार्वर्ड मार्क-वन'?

सारांश

7 अगस्त का दिन मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस दिन पेश किया गया 'हार्वर्ड मार्क-वन', पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर, जिसने गणनाओं के क्षेत्र में क्रांति ला दी। जानिए इस अद्वितीय मशीन के बारे में और इसके निर्माण की कहानी।

Key Takeaways

  • 7 अगस्त 1944 को पहला ऑटोमैटिक कैलकुलेटर 'हार्वर्ड मार्क-वन' पेश किया गया।
  • यह मशीन बिना मानवीय हस्तक्षेप के गणनाओं को अंजाम दे सकती थी।
  • इसका विकास आईबीएम और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने किया था।
  • यह मशीन 1944 से 1959 तक कार्यरत रही।
  • हार्वर्ड मार्क-वन ने गणनाओं की दुनिया में एक नई क्रांति लाई।

नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 7 अगस्त की तारीख पूरी दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जब विश्व का पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 'हार्वर्ड मार्क-वन' पेश किया गया। इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (आईबीएम) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से इस क्रांतिकारी कैलकुलेटर का विकास किया।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक युवा शोध छात्र हावर्ड एच. ऐकेन ने इस उपकरण की परिकल्पना की, जब उन्हें गणितीय भौतिकी की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए स्वचालित उपकरण की आवश्यकता महसूस हुई। 1937 में उन्होंने एक ऐसे डिवाइस की कल्पना की, जो बिना मानव हस्तक्षेप के गणनाओं को अंजाम दे सके।

हालांकि उनका विचार उस समय के कई वैज्ञानिकों और निर्माताओं के लिए नया था, लेकिन आईबीएम ने इसमें संभावनाएं देखीं। आईबीएम के इंजीनियर क्लेयर डी. लेक और उनकी टीम ने न्यूयॉर्क के एंडिकॉट में मशीन के निर्माण पर काम शुरू किया।

यह परियोजना द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में चल रही थी। अमेरिका की नौसेना ने भी इस मशीन की सामरिक संभावनाओं को पहचानते हुए, फरवरी 1944 में आईबीएम से इसके पुर्जे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी भेजे।

7 अगस्त 1944 को इसे आधिकारिक रूप से प्रस्तुत किया गया। इसे उस समय ऑटोमैटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कैलकुलेटर (एएससीसी) कहा गया, जिसे बाद में 'हार्वर्ड मार्क-वन' नाम दिया गया।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 1945 में जॉर्ज स्टिबिट्ज ने नेशनल डिफेंस रिसर्च कमेटी को दिए गए एक रिपोर्ट में स्पष्ट किया, "कैलकुलेटर एक ऐसा उपकरण है, जो जोड़, घटाव, गुणा, भाग जैसे ऑपरेशनों को कर सके।"

जॉर्ज स्टिबिट्ज ने उस समय 'कंप्यूटर बनाम कैलकुलेटर' की परिभाषा देते हुए कहा, "कंप्यूटर वह मशीन है, जो इन ऑपरेशनों की एक श्रृंखला को स्वचालित रूप से कर सके और आवश्यक मध्यवर्ती परिणामों को स्टोर कर सके।"

'हार्वर्ड मार्क-वन' ने 1944 से 1959 तक सेवाएं दीं। इसके बाद इसके कुछ हिस्से आईबीएम और स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन को दिए गए। वर्तमान में इसका एक छोटा हिस्सा संग्रहालय में संरक्षित है।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह मशीन लगभग 51 फीट लंबी, 5 टन वजन वाली और 7,50,000 भागों से बनी थी। इसमें 72 अक्यूमुलेटर और 60 सेट रोटरी स्विच शामिल थे।

इस मशीन का संचालन एक लंबे घूमने वाले शाफ्ट से नियंत्रित होता था। एक जोड़ने का ऑपरेशन 1/3 सेकंड में होता था, जबकि गुणा करने में 1 सेकंड लगता था।

Point of View

हमें यह मानना चाहिए कि 'हार्वर्ड मार्क-वन' का निर्माण न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में हमारे युवा शोधकर्ताओं का योगदान कितना महत्वपूर्ण है। यह मशीन एक नई दिशा में सोचने और खोजने की प्रेरणा देती है।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

हार्वर्ड मार्क-वन क्या है?
हार्वर्ड मार्क-वन पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर है, जिसे 1944 में पेश किया गया था।
इसका विकास किसने किया?
इसका विकास इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (आईबीएम) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर किया।
कब इसे पहली बार प्रस्तुत किया गया?
इसे 7 अगस्त 1944 को पहली बार प्रस्तुत किया गया।
इसका उपयोग किसके लिए किया गया?
इसका उपयोग गणितीय और भौतिकी की समस्याओं को हल करने के लिए किया गया।
क्या यह मशीन अब भी उपयोग में है?
नहीं, यह मशीन अब संग्रहालय में संरक्षित है और इसका उपयोग नहीं होता।