क्या भारत और म्यांमार के बीच हुई सैन्य वार्ता से रक्षा सहयोग मजबूत होगा?

सारांश
Key Takeaways
- बॉर्डर डिफेंस पार्टनरशिप
- सैन्य क्षमता निर्माण
- द्विपक्षीय रक्षा सहयोग
- क्षेत्रीय शांति
- आपदा राहत
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और म्यांमार के बीच सैन्य वार्ता का एक महत्वपूर्ण चरण देखा गया है। इस बातचीत में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने बॉर्डर डिफेंस पार्टनरशिप और रक्षा सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। भारतीय सेना ने बताया कि यह एक आर्मी-टू-आर्मी स्टाफ टॉक्स थी, जो नई दिल्ली में आयोजित की गई।
इस वार्ता का नेतृत्व म्यांमार के लेफ्टिनेंट जनरल को को ऊ ने किया। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में कदम उठाने का संकल्प लिया। साथ ही, सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई।
बैठक में यह भी तय किया गया कि भारत और म्यांमार अपनी सेनाओं के बीच व्यापक रक्षा साझेदारी को और मज़बूती देंगे। मजबूत रक्षा संबंध क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
मुख्य विषयों में संयुक्त प्रशिक्षण, सैन्य क्षमता निर्माण, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत, और सीमा प्रबंधन शामिल थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने म्यांमार सेना के साथ सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
इस वर्ष भारत में आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें म्यांमार भी शामिल था। यह बैठक ‘आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस’ के एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप की 14वीं बैठक थी। बैठक में 10 आसियान सदस्य देशों के डेलीगेशन ने भाग लिया।
भारत ने म्यांमार में भूकंप के बाद सहायता प्रदान की थी। ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत, भारतीय नौसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 442 टन राहत सामग्री भेजी।
भारतीय नौसेना का जहाज ‘आईएनएस घड़ियाल’ 405 टन चावल सहित राहत सामग्री लेकर 5 अप्रैल को यांगून पहुंचा था। यह राहत सामग्री भारत के राजदूत अभय ठाकुर ने म्यांमार के मुख्यमंत्री को सौंपी थी।