क्या पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने सीजफायर पर सहमति जताई? तुर्किए ने अगली बैठक की तारीख बताई
सारांश
Key Takeaways
- अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने सीजफायर पर सहमति जताई है।
- तुर्किए और कतर की मध्यस्थता महत्वपूर्ण है।
- अगली बैठक 6 नवंबर को होगी।
- युद्धविराम की स्थिरता संवाद पर निर्भर करती है।
- सभी पक्षों को शांति के लिए सहयोग करना होगा।
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव और जुबानी जंग का दौर जारी है। हालाँकि, दोनों देशों ने कतर और तुर्किए की मध्यस्थता से एक सीजफायर समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहा है। इस सीजफायर की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए 30 अक्टूबर को इस्तांबुल में एक बैठक आयोजित की गई।
यह बैठक पहले से तय थी। युद्धविराम के समझौते के दौरान यह निर्धारित किया गया था कि अगली बैठक कब होगी। बैठक के बाद, तुर्किए और कतर की मध्यस्थता से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक संयुक्त बयान भी जारी किया गया।
संयुक्त बयान में कहा गया, "अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तुर्किए और कतर ने 25-30 अक्टूबर 2025 तक इस्तांबुल में बैठकें कीं, जिसका उद्देश्य युद्धविराम को मजबूत करना था, जिस पर अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने 18-19 अक्टूबर 2025 को दोहा में सहमति जताई थी।"
बयान में यह भी कहा गया कि सभी पक्ष युद्धविराम को जारी रखने पर सहमत हैं। कार्यान्वयन के आगे के तरीकों पर 6 नवंबर को इस्तांबुल में एक प्रमुख स्तर की बैठक में चर्चा की जाएगी। सभी पक्ष एक निगरानी और सत्यापन तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं जो शांति बनाए रखने में मदद करेगा और उल्लंघन करने वाले पक्ष पर दंड लगाएगा। तुर्किए और कतर ने दोनों पक्षों के सक्रिय योगदान के लिए सराहना व्यक्त की है और स्थायी शांति के लिए सहयोग जारी रखने की इच्छा जताई है।
अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने काबुल में एक भाषण के दौरान इस्लामाबाद को चेतावनी दी है कि कोई भी आक्रामकता काबुल बर्दाश्त नहीं करेगा। हक्कानी ने कहा, "अफगानिस्तान में समस्याएँ हो सकती हैं, लेकिन देश किसी भी विदेशी हमलावर के खिलाफ एकजुट है। अपने इलाके की रक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है।"
यह बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा अफगान तालिबान को दी गई कड़ी चेतावनी के 24 घंटे से भी कम समय बाद आया। आसिफ ने कहा था कि वे इस्लामाबाद के इरादों को "अपनी बर्बादी" पर परख सकते हैं। पाकिस्तान को तालिबान को "पूरी तरह से खत्म करने" के लिए अपने हथियारों के "एक छोटे से हिस्से" का भी प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है।