क्या अमेरिका में नाबालिग अवैध प्रवासियों को वयस्क डिटेंशन सेंटर भेजने पर रोक लगी है?

सारांश
Key Takeaways
- नाबालिग प्रवासियों को वयस्क हिरासत केंद्र में भेजने पर रोक लगी है।
- जज रूडोल्फ कॉन्ट्रेरास का आदेश ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ है।
- किशोर प्रवासियों को 2,500 डॉलर का प्रस्ताव दिया जा रहा है।
- शिकागो में अवैध प्रवासियों को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है।
- अमेरिकी सरकार ने गार्ड्समैन की तैनाती का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई की जा रही है। इसी बीच, अमेरिकी जिला जज रूडोल्फ कॉन्ट्रेरास ने नाबालिग प्रवासियों को वयस्क हिरासत केंद्रों में भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कोर्ट ने यह कहा है कि ट्रंप प्रशासन की नई नीति उनके द्वारा 2021 में जारी किए गए एक आदेश का उल्लंघन करती है। वास्तव में, 2021 में जिला जज ने अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन को निर्देश दिया था कि केवल 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद ही किसी भी प्रवासी को आईसीई हिरासत केंद्र में भेजा जाए।
गौरतलब है कि नाबालिग प्रवासियों को आईसीई हिरासत केंद्रों में नहीं रखा जाता है, बल्कि उन्हें अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग द्वारा संचालित केंद्रों में रखा जाता है। कई आव्रजन अधिकार समूहों ने इस याचिका में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद कोर्ट का यह आदेश सामने आया।
वहीं, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन अब किशोर प्रवासियों को स्वेच्छा से अमेरिका छोड़ने के लिए 2,500 डॉलर की पेशकश कर रहा है।
पिछले महीने, एक अन्य जज ने ट्रंप प्रशासन को ग्वाटेमाला के नाबालिगों को उनके देश वापस भेजने से रोक दिया था। अमेरिकी सरकार ने दावा किया था कि इन नाबालिगों को उनके माता-पिता से मिलवाया जाएगा।
हालांकि, बाद में सरकार अपने दावे को साबित नहीं कर पाई, जिसके बाद कोर्ट ने नाबालिगों को उनके देश वापस भेजने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ट्रंप प्रशासन यह साबित नहीं कर पाई कि उन नाबालिगों के माता-पिता उन्हें वापस अपने पास चाहते हैं।
अमेरिका में अवैध प्रवासियों को हिरासत में लेना इस समय एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। इसे लेकर शिकागो में भी काफी हंगामा मचा हुआ है। अमेरिकी सरकार ने शिकागो में लगभग 300 गार्ड्समैन तैनात करने का निर्णय लिया है।