क्या अमेरिका चीन के साथ संतुलन और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग मजबूत कर रहा है? मार्को रुबियो

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क्या अमेरिका चीन के साथ संतुलन और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग मजबूत कर रहा है? मार्को रुबियो

सारांश

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन के साथ संतुलन बनाने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की है। उन्होंने अमेरिका की रणनीतिक योजनाओं और सहयोगियों के प्रति प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। क्या यह अमेरिका की वैश्विक भूमिका में बदलाव लाएगा?

Key Takeaways

  • अमेरिका चीन के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को मजबूत किया जा रहा है।
  • अमेरिका के सहयोगी देशों में जापान, दक्षिण कोरिया और भारत शामिल हैं।
  • अमेरिका टकराव नहीं चाहता, लेकिन तनाव बना रह सकता है।
  • क्वाड जैसे मंचों के जरिए अमेरिका ने रणनीतिक सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया है।

वाशिंगटन, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के साथ संबंधों में संतुलन बनाए रखने की नीति पर काम कर रहा है, और इसी के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने सहयोगी देशों के साथ गठबंधनों को लगातार मजबूत कर रहा है।

मार्को रुबियो ने कहा कि चीन के साथ तनाव बने रहना स्वाभाविक है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, "तनाव होंगे, इसमें कोई शक नहीं है।" उन्होंने यह भी माना कि चीन आज एक समृद्ध और ताकतवर देश है और वैश्विक राजनीति में उसकी भूमिका आगे भी बनी रहेगी।

रुबियो ने कहा कि अमेरिका यह समझता है कि चीन के साथ संवाद और संपर्क बनाए रखना जरूरी है। हमें उनके साथ संबंध रखने होंगे, हमें उनसे बातचीत करनी होगी और ऐसे मुद्दे तलाशने होंगे, जिन पर हम साथ काम कर सकें।

हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि चीन से बातचीत के साथ-साथ अमेरिका अपने सहयोगी देशों के प्रति प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका का काम इन दोनों बातों के बीच संतुलन बनाना है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि जापान अमेरिका का बहुत करीबी सहयोगी है और अमेरिका उसे लगातार समर्थन देता रहेगा।

रुबियो ने बताया कि अमेरिका की प्रतिबद्धता केवल जापान तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें दक्षिण कोरिया, पूरा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य साझेदार देश भी शामिल हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अमेरिका किसी को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहता और अधिक से अधिक देशों के साथ सहयोग चाहता है।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका टकराव नहीं चाहता। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि आने वाले समय में भी कुछ मुद्दों पर तनाव बना रह सकता है।

रुबियो ने कहा कि जिम्मेदार कूटनीति का मतलब यह है कि सहयोग के क्षेत्रों की पहचान की जाए, लेकिन अपने सहयोगी देशों के साथ संबंधों को कमजोर न किया जाए। उन्होंने कहा कि इस बात को दोनों पक्ष अच्छी तरह समझते हैं।

गौरतलब है कि अमेरिका और चीन के रिश्ते व्यापार, तकनीक, ताइवान और दक्षिण व पूर्वी चीन सागर की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। इसी बीच अमेरिका ने भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ क्वाड जैसे मंचों के जरिए रणनीतिक सहयोग बढ़ाया है। खास तौर पर भारत अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में एक अहम साझेदार बनकर उभरा है, जहां रक्षा, तकनीक और आर्थिक संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि अमेरिका की विदेश नीति चीन के साथ संतुलन बनाए रखने और सहयोगी देशों के साथ संबंध मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह दृष्टिकोण न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बनाएगा।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिका और चीन के बीच तनाव के कारण क्या हैं?
अमेरिका और चीन के बीच तनाव व्यापार, तकनीक, ताइवान और दक्षिण व पूर्वी चीन सागर की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्रित हैं।
अमेरिका की इंडो-पैसिफिक नीति में भारत की भूमिका क्या है?
भारत अमेरिका की इंडो-पैसिफिक नीति में एक महत्वपूर्ण साझेदार है, जहां रक्षा, तकनीक और आर्थिक संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं।
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