क्या अमेरिका ने योग्य विदेशी युवाओं के लिए 'ट्रंप गोल्ड कार्ड' की घोषणा की है?
सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप गोल्ड कार्ड कार्यक्रम से विदेशी छात्रों को अमेरिका में नौकरी का अवसर मिलेगा।
- कार्यक्रम का उद्देश्य टेक कंपनियों को स्थिरता और निश्चितता प्रदान करना है।
- गोल्ड कार्ड के लिए उच्च स्तर का सरकारी वेटिंग प्रोसेस होगा।
- इससे भारत के छात्रों को अमेरिका में रहकर काम करने का मौका मिलेगा।
- यह पहल अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा केंद्र बनाने में मदद करेगी।
वाशिंगटन, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका में भारत सहित कई देशों के छात्रों को अब अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। अमेरिकी कंपनियों को अब यूनिवर्सिटी के शीर्ष स्नातकों को नौकरी पर रखने की अनुमति दी जाएगी। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने 'ट्रंप गोल्ड कार्ड' कार्यक्रम की घोषणा की है, जो कंपनियों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों के शीर्ष स्नातकों को अपने पास रखने का अवसर प्रदान करेगा।
यह कार्यक्रम खासकर उन विदेशी छात्रों के लिए बनाया गया है जो अमेरिका के उच्च रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों से स्नातक कर रहे हैं, विशेषकर भारतीय छात्रों के लिए।
ट्रंप ने इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा, "आप अपने कॉलेज में पहले आते हैं, लेकिन देश में रहने की कोई गारंटी नहीं होती। भारत, चीन, फ्रांस, सभी देशों के छात्रों को वापस लौटना पड़ता है। यह बहुत गलत है। यह नई व्यवस्था अमेरिकी कंपनियों को स्थिरता और निश्चितता देगी, खासतौर पर यह प्रोग्राम उन छात्रों के लिए बहुत लाभकारी होगा जो विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता रखते हैं। उन्हें वर्षों तक इमिग्रेशन की बाधाओं में नहीं फंसना पड़ेगा।"
ट्रंप ने कहा कि यह परिवर्तन टेक कंपनियों के विशेष रूप से एप्पल के सीईओ टिम कुक से हुई चर्चा के बाद आया। उन्होंने कहा, "टिम कुक ने कहा कि यह एक बड़ी समस्या है। हम इस समस्या को खत्म कर रहे हैं।"
कार्यक्रम का विवरण साझा करते हुए हावर्ड लटनिक ने बताया कि गोल्ड कार्ड दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है: व्यक्तिगत आवेदक के लिए (1 मिलियन डॉलर) और कंपनी के लिए (2 मिलियन डॉलर)। कंपनियाँ इस कार्ड के माध्यम से अपने किसी चयनित विदेशी कर्मचारी को अमेरिका में लंबे समय तक रखने का अधिकार प्राप्त कर सकेंगी।
लटनिक ने कहा कि गोल्ड कार्ड के लिए उम्मीदवार को सबसे कठिन और उच्च स्तर के सरकारी वेटिंग प्रोसेस से गुजरना होगा, जिसकी लागत 15,000 डॉलर होगी।
मंजूरी मिलने के बाद, कर्मचारी को पांच साल में नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता मिल जाएगा। इसके बाद, कंपनी उसी कार्ड पर किसी अन्य कर्मचारी को भी ला सकती है, यानी कार्ड एक प्रकार से रोटेटिंग रेजिडेंसी परमिट की तरह कार्य करेगा।
उन्होंने इसे अमेरिका के लिए एक उपहार बताते हुए कहा कि यह देश को वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धा में और मजबूत बनाएगा।
ट्रंप ने कहा कि गोल्ड कार्ड कार्यक्रम से अमेरिकी सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होगा। उन्होंने अनुमान लगाया, "हम सोचते हैं कि इससे अरबों डॉलर आएंगे। संभवतः कई अरब डॉलर।"
राष्ट्रपति ने कहा कि वीजा अनिश्चितता के कारण पहले कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को कनाडा जैसे देशों में भेज देती थीं। अब हमने उस समस्या का समाधान कर दिया है। कंपनियाँ बहुत खुश होंगी।
राउंडटेबल में डेल टेक्नोलॉजीज के माइकल डेल, आईबीएम के अरविंद कृष्णा, क्वालकॉम के क्रिस्टीआनो अमोन, एचपी और हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक को प्रशासन ने इमिग्रेशन सुधार, तकनीकी निवेश और अमेरिकी कार्यबल को मजबूत करने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया।
ट्रंप ने एआई और चिप निर्माण के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों द्वारा किए गए निवेश की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "हम एआई में बहुत आगे हैं। हमारा लक्ष्य तकनीक में पूरी तरह से प्रभुत्व प्राप्त करना है। हम नंबर वन रहना चाहते हैं, वह भी बहुत अंतर से।"
माइकल डेल ने कहा कि एआई और सेमीकंडक्टर उद्योग बड़ी मात्रा में बिजली की खपत करते हैं, इसलिए ऊर्जा की उपलब्धता और कम लागत अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
आईबीएम के अरविंद कृष्णा ने पूर्ण एआई स्टैक (सेमीकंडक्टर, सॉफ्टवेयर, सिस्टम और एप्लिकेशन्स) को मजबूत करने की आवश्यकता बताई।
गोल्ड कार्ड कार्यक्रम भारतीय छात्रों और उच्च-कौशल वाले भारतीय कर्मचारियों के लिए पिछले एक दशक में सबसे बड़ा इमिग्रेशन सुधार माना जा रहा है। अमेरिका में भारतीय छात्र दूसरे सबसे बड़े विदेशी छात्र समूह हैं और एच-1बी वीजा प्राप्त करने वालों का सबसे बड़ा हिस्सा भी भारतीय ही हैं। इस प्रकार, यह कार्यक्रम भारतीय टेक और एआई वर्कफोर्स पर अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
कई अमेरिकी प्रशासन लंबे समय से रोजगार-आधारित इमिग्रेशन सुधार लाने में असफल रहे हैं। कांग्रेस में गतिरोध और वीजा कोटे की सीमा ने वर्षों से कंपनियों और विदेशी पेशेवरों को कठिनाइयों में डाल दिया है। टेक कंपनियाँ लगातार कहती रही हैं कि वीजा लॉटरी और अनिश्चित प्रक्रियाएँ अमेरिकी प्रतिस्पर्धा को कमजोर करती हैं।
ट्रंप का गोल्ड कार्ड कार्यक्रम इन सभी समस्याओं का समाधान करने और अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा केंद्र बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।