क्या अमेरिका की राजनीतिक मामलों की अवर सचिव हूकर भारत का दौरा कर रही हैं?
सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी को मजबूती मिलेगी।
- इंडो-पैसिफिक में सहयोग पर जोर दिया जाएगा।
- अर्थव्यवस्था और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ेगा।
वॉशिंगटन, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका की राजनीतिक मामलों की अवर सचिव एलिसन हूकर भारत में पांच दिनों के लिए यात्रा पर आ रही हैं। एलिसन 7 से 11 दिसंबर तक भारत में रहेंगी, जहां वे विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अन्य अधिकारियों से बातचीत करेंगी। इस दौरान, वे क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और इंडो-पैसिफिक में साझेदारी की प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगी।
भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि नई दिल्ली के साथ-साथ, एलिसन हूकर बेंगलुरु भी जाएंगी। बेंगलुरु में, वे इसरो का दौरा करेंगी और यूएस-इंडिया रिसर्च पार्टनरशिप में नवाचार को बढ़ावा देने और सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष, ऊर्जा, और तकनीकी नेताओं से मिलेंगी।
बयान के अनुसार, हूकर का दौरा अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को गहरा करने, जिसमें अमेरिकन एक्सपोर्ट बढ़ाना शामिल है, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा अंतरिक्ष अन्वेषण जैसी उभरती तकनीकों में सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगा।
यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की द्विपक्षीय साझेदारी और स्वतंत्र, खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे पहले, 3 दिसंबर को भारत और अमेरिका ने आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए भारत-यूएसए संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की 21वीं बैठक और 7वां पदनाम संवाद आयोजित किया।
इस बैठक में भारत के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आतंकवाद-निरोधक) डॉ. विनोद बहाडे और अमेरिका के विदेश विभाग में आतंकवाद निरोधक ब्यूरो की वरिष्ठ अधिकारी मोनिका जैकब्स ने अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
बैठकों में आतंकवाद का मुकाबला करने में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया। दोनों पक्षों ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी प्रकार के आतंकवाद की स्पष्ट निंदा की।
उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और 10 नवंबर को नई दिल्ली के लाल किले के पास हुई जघन्य आतंकी घटना की कड़ी निंदा की। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकवाद के जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।