क्या एंटीबायोटिक का दुरुपयोग हमें खतरे में डाल रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- एंटीबायोटिक का अत्यधिक सेवन खतरनाक है।
- दवा का पूरा कोर्स करना आवश्यक है।
- समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है।
- स्वास्थ्य कर्मियों का सही प्रशिक्षण आवश्यक है।
- प्रतिरोधकता से बचने के उपाय अपनाना चाहिए।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज विश्व को जिस सबसे गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ रहा है, वह है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस, अर्थात् संक्रमणों का दवा प्रतिरोधी होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अक्टूबर 2025 में आई रिपोर्ट के अनुसार, एएमआर वैश्विक स्तर पर एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है।
हर छठा बैक्टीरियल संक्रमण अब सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं हो पा रहा है। इसका अर्थ यह है कि जो दवाएं पहले जीवन रक्षक थीं, वे अब बेअसर होती जा रही हैं। यह स्थिति धीरे-धीरे विश्व के हर क्षेत्र में फैल रही है और चिकित्सा विज्ञान के समक्ष एक नई चुनौती प्रस्तुत कर रही है।
इसका मुख्य कारण शायद हम स्वयं हैं, जो मामूली बुखार और सर्दी-जुकाम होने पर भी तुरंत दवा लेना शुरू कर देते हैं और बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं। कई बार तो हम दवा का पूरा कोर्स किए बिना ही उसे रोक देते हैं। ऐसा करने से शरीर में मौजूद जीवाणु कमजोर हो जाते हैं और उनमें प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। अगले संक्रमण में वही दवा प्रभावी नहीं रहती। यही कारण है कि आज अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें इलाज के लिए नई और अधिक शक्तिशाली दवाओं की आवश्यकता होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्रों में हर तीसरा संक्रमण अब दवा प्रतिरोधी हो चुका है। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है क्योंकि इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक है और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग न केवल मानवों में, बल्कि पशुओं और कृषि में भी किया जा रहा है। पशुओं को तेजी से बढ़ाने और बीमारियों से बचाने के लिए इन दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो अंततः हमारे भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच जाती हैं।
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि यदि इसका समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में साधारण संक्रमण जैसे कि निमोनिया, टाइफाइड या मूत्र संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है (2019 में प्रकाशित अध्ययन) कि वर्ष 2050 तक हर साल लगभग एक करोड़ मौतें केवल दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण हो सकती हैं। यह संख्या कैंसर से होने वाली मौतों से भी अधिक होगी।
इस संकट से निपटने का रास्ता हमारे स्वयं के जिम्मेदार व्यवहार से शुरू होता है। किसी भी दवा को डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए। जब भी एंटीबायोटिक दी जाए, तो उसका पूरा कोर्स पूरा करना आवश्यक है, चाहे तबीयत पहले ही ठीक क्यों न लगने लगे। अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण के नियमों का पालन करना और स्वास्थ्य कर्मियों को सही तरीके से प्रशिक्षित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
यही कारण है कि 17 से 24 नवंबर 2025 को विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने इस बार डब्ल्यूएएडब्ल्यू का थीम "अभी कार्य करें: वर्तमान की रक्षा करें, भविष्य को सुरक्षित करें" रखा है ताकि हम वर्तमान को समझकर अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकें।