क्या नेपाल के 'जेन-जी' आंदोलन का प्रभाव उत्तराखंड के बनबसा बाजार पर पड़ा है?

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क्या नेपाल के 'जेन-जी' आंदोलन का प्रभाव उत्तराखंड के बनबसा बाजार पर पड़ा है?

सारांश

नेपाल के जेन-जी आंदोलन ने बनबसा बाजार की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है। व्यापार ठप होने से स्थानीय व्यापारी संकट में हैं। क्या यह स्थिति त्योहारों पर भी असर डालेगी?

Key Takeaways

  • बनबसा बाजार नेपाल पर निर्भर है।
  • जेन-जी आंदोलन ने व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया।
  • स्थानीय व्यापारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
  • दशहरा और दीपावली पर व्यापार पर असर पड़ सकता है।
  • नेपाल में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।

बनबसा (चंपावत), 13 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में जेन-जी आंदोलन के परिणामस्वरूप उत्पन्न अशांति ने भारत-नेपाल सीमा पर स्थित उत्तराखंड के बनबसा बाजार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पिछले तीन दिनों से सीमा पर सन्नाटा छाया हुआ है, जिसके कारण स्थानीय व्यापारियों का 90 प्रतिशत से अधिक कारोबार ठप हो चुका है।

बनबसा बाजार, जो नेपाली ग्राहकों पर निर्भर है, अब पूरी तरह शांत हो गया है। व्यापारियों को प्रतिदिन 40 से 50 लाख रुपये का अनुमानित नुकसानमहेंद्रनगर (कंचनपुर) में लगे कर्फ्यू के कारण सीमा पर आवागमन पूरी तरह बंद है, जिससे भारतीय बाजार पर सीधा असर पड़ा है। स्थानीय व्यापारी अब नेपाल में शांति बहाल होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनका कारोबार फिर से शुरू हो सके।

नेपाल में सितंबर में शुरू हुए जेन-जी आंदोलन ने देश को हिला दिया। यह आंदोलन शुरुआत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के खिलाफ था, लेकिन जल्द ही भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म (नेपो किड्स की विलासिता) और आर्थिक असमानता के खिलाफ बड़े प्रदर्शनों में बदल गया। युवा पीढ़ी (13 से 28 वर्ष के बीच) ने काठमांडू और अन्य शहरों में सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। अब पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है, जो नेपाल की पहली महिला पीएम हैं। नेपाल आर्मी ने सुरक्षा संभाली है और कर्फ्यू में सुबह-शाम छूट दी जा रही है। हालाँकि, स्थिति अभी पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है।

इस अशांति का प्रभाव भारत-नेपाल सीमा पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। बनबसा बाजार चंपावत जिले में स्थित है और नेपाल के महेंद्रनगर से सटा हुआ है। यह बाजार दैनिक आवश्यकताओं जैसे नमक, तेल, चीनी, मसाले, परचून, सब्जी, गुड़ आदि के लिए नेपाली ग्राहकों का प्रमुख केंद्र है।

इसके अलावा, कपड़े, हार्डवेयर, मोटर पार्ट्स, दवाइयां और अन्य महत्वपूर्ण सामान भी यहां से नेपाल निर्यात होते हैं। सामान्य दिनों में बाजार नेपाल के हजारों ग्राहकों से गुलजार रहता है, लेकिन अब नेपाली ग्राहक न आने से 90-95 प्रतिशत दुकानें बंद पड़ी हैं। केवल 10 प्रतिशत स्थानीय भारतीय ग्राहकों पर निर्भरता बची है। व्यापारी दिन में ही दुकानों पर खाली बैठे हैं या गद्दियों पर सो रहे हैं। मीना बाजार पूरी तरह धराशायी हो चुका है, जहां कई दुकानदार शाम 4 बजे ही घर लौट जाते हैं।

स्थानीय व्यापार मंडल के अनुसार, बनबसा का कारोबार पूरी तरह नेपाल पर आश्रित है। सामान्यतः दैनिक व्यापार 60-70 लाख रुपये तक होता था, जो अब घटकर मात्र 1-2 लाख रह गया है। इससे आर्थिक संकट गहरा गया है। व्यापारियों की चिंता दशहरा और दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों को लेकर है। नेपाल में दशहरा सबसे बड़ा त्योहार है, जब बनबसा बाजार में प्रतिदिन 2.5 से 3 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। यदि स्थिति यूं ही बनी रही, तो त्योहारों पर भी असर पड़ेगा और व्यापारियों की जीविका खतरे में पड़ जाएगी। 1960 से यहां व्यापार चला आ रहा है, लेकिन कोविड काल के बाद यह पहली बार इतना बुरा दौर आया है। नेपाली व्यापारियों के साथ लूटमार की घटनाओं से उनका कारोबार भी प्रभावित हुआ है, जिसका खामियाजा भारतीय पक्ष को भुगतना पड़ रहा है।

व्यापार मंडल अध्यक्ष भरत भंडारी ने कहा, "नेपाल में स्थिति विषम है। हम 1960 से यहां व्यापार कर रहे हैं। यहां का 90 प्रतिशत कारोबार नेपाल पर निर्भर है। आंदोलन के कारण सब ठप हो गया। नेपाल और हमारा व्यापार आपस में जुड़ा है। वहां लूटमार से नेपाली व्यापारी पीछे हट गए। हमने कोविड जैसी चुनौतियां देखी हैं, लेकिन यह तनाव भरा है। दशहरा-दीपावली पर बिक्री होती है, यदि यूं ही चला तो सब शून्य हो जाएगा। हमारी जीविका यही है।"

महामंत्री अभिषेक गोयल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया, "बनबसा का व्यापार नेपाल पर आश्रित है। बॉर्डर क्षेत्र के बाजार सीमा पर निर्भर रहते हैं। दैनिक 60-70 लाख का व्यापार अब 1-2 लाख पर सिमट गया। आर्थिक नुकसान हो रहा है। उम्मीद है जल्द हालात सामान्य हों, ताकि रोटी-बेटी का संबंध फिर मजबूत हो।"

व्यापारी पंकज कुमार अग्रवाल ने कहा, "हालात बहुत खराब हैं। दुकान में एक ग्राहक भी नहीं। हमारा व्यापार नेपाल पर निर्भर है। वहां की स्थिति का असर यहां पड़ रहा। ईश्वर से प्रार्थना है कि जल्द सामान्य हो, ताकि व्यापार तेज हो।"

Point of View

हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम नेपाल के हालात और उनके प्रभाव पर गहन दृष्टि रखें। बनबसा बाजार की स्थिति केवल व्यापारियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। हमें सभी पक्षों की बात सुनकर एक निष्पक्ष दृष्टिकोण प्रस्तुत करना चाहिए।
NationPress
13/09/2025

Frequently Asked Questions

बनबसा बाजार क्यों प्रभावित हुआ है?
नेपाल में जेन-जी आंदोलन के कारण उत्पन्न अशांति के कारण बनबसा बाजार का व्यापार ठप हो गया है।
स्थानीय व्यापारी कितने नुकसान में हैं?
स्थानीय व्यापारी प्रतिदिन 40 से 50 लाख रुपये का अनुमानित नुकसान झेल रहे हैं।
नेपाल के हालात कब सामान्य होंगे?
इसका कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन व्यापारी जल्द ही स्थिति के सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं।
दशहरा और दीपावली पर क्या असर पड़ेगा?
यदि स्थिति यूं ही रही, तो त्योहारों पर भी व्यापार प्रभावित होगा।
बनबसा बाजार में किस प्रकार का सामान बेचा जाता है?
यहां दैनिक आवश्यकताओं के सामान, कपड़े, हार्डवेयर, मोटर पार्ट्स और दवाइयां बेची जाती हैं।