क्या बांग्लादेश चीन के जाल में फंसता जा रहा है? चटगांव पोर्ट पर ड्रैगन की सक्रियता

सारांश
Key Takeaways
- चटगांव पोर्ट बांग्लादेश का सबसे बड़ा बंदरगाह है।
- चीन का बांग्लादेश में बढ़ता निवेश चिंता का विषय है।
- यूनुस सरकार सभी पोर्ट्स को चीन को सौंपने की योजना बना रही है।
- बांग्लादेश का भारत से संबंध धीरे-धीरे बदल रहा है।
- चीन की नीति देशों को कर्ज में डुबोकर उन्हें नियंत्रित करना है।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के चटगांव पोर्ट पर इन दिनों चीन और अमेरिका की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। यह पोर्ट अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है। वैश्विक व्यापार और कूटनीति के दृष्टिकोण से चटगांव पोर्ट की महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, देश की अंतरिम यूनुस सरकार सभी पोर्ट का नियंत्रण चीन को देने पर विचार कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश के विभिन्न राजनीतिक दल यूनुस सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। चीन धीरे-धीरे बांग्लादेश में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जो कि बांग्लादेश के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।
इस पोर्ट पर अमेरिकी परिवहन पोत, रूस के युद्धपोत और चीनी पनडुब्बियों की गतिविधियों में इजाफा हुआ है। चटगांव पोर्ट पर चीन की नजरें गड़ी हुई हैं, और बांग्लादेश में चीन का प्रवेश उसके लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।
वास्तव में, चीन की नीति है कि पहले मदद का हाथ बढ़ाओ, फिर आर्थिक सहायता करो, और धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ाते जाओ। चीन आर्थिक मदद के जरिए कर्ज इतना बढ़ाता है कि उससे उबरना मुश्किल हो जाता है। इसके बाद, हालात ऐसे बनते हैं कि चीन उस देश की कूटनीति को भी प्रभावित कर सकता है।
बांग्लादेश और पाकिस्तान में चीन यही रणनीति अपना रहा है। बांग्लादेश में चीन बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है ताकि वहां की भूराजनीति को अपने नियंत्रण में रख सके।
बांग्लादेश कभी भारत का विश्वसनीय मित्र रहा है, पर अब यह स्थिति बदलती जा रही है। भारत धीरे-धीरे पृष्ठभूमि में चला जा रहा है, जबकि चीन की एंट्री बढ़ रही है। बांग्लादेश धीरे-धीरे चीन को अपने पोर्ट की चाबी सौंप रहा है।
बांग्लादेश का सबसे बड़ा पोर्ट चटगांव है, जिसे यूनुस सरकार चीन को सौंपने की योजना बना रही है। चुनावी हलचल के बीच, बांग्लादेश के सभी प्रमुख पोर्ट्स को चीन को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही, बांग्लादेश अपने बड़े एयरपोर्ट्स को भी चीन को लीज पर देने की योजना बना रहा है।