क्या बांग्लादेश में चुनाव महज दिखावे के लिए हैं, और सत्ता पर पहले से ही कौन काबिज होगा?
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में चुनावों का महत्व
- अवामी लीग का राजनीतिक प्रभाव
- मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के निर्णय
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों की स्थिति
- क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे
ढाका, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर पाबंदी लगाकर देश के 40 फीसदी मतदाताओं को फरवरी 2026 में होने वाले चुनाव में भाग लेने से रोका जा रहा है।
पार्टी ने यह भी कहा कि उस एक आदेश से, यह राष्ट्रीय चुनाव नहीं रह गया और असली दावेदार को बाहर रखने के लिए एक “सावधानी से किया गया काम” बन गया।
अवामी लीग ने कहा, "जब यूनुस ने अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर पाबंदी लगाई, तो यह सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं था; 'पॉलिटिकल ब्लैकआउट' था, जो बांग्लादेश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। एक ही आदेश से, वह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत को चुप कराने में सफल रहे और लगभग 40 फीसदी मतदाताओं की आवाज को खामोश कर दिया। कोई बहस नहीं। कोई सही प्रक्रिया नहीं। कोई जनमत संग्रह नहीं। बस बिना रोक-टोक वाली पावर से राज कर रहे हैं।"
पार्टी के अनुसार, यह न तो कोई हादसा है और न ही कोई गलतफहमी, बल्कि एक स्पष्ट पैटर्न का हिस्सा है। अवामी लीग ने चेतावनी दी कि देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत को किनारे किए जाने से जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे चरमपंथी इस्लामिक समूहों को बढ़ावा मिल रहा है। उन्हें कई सालों से जो मंच नहीं मिला, वह उपलब्ध कराया जा रहा है।
अवामी लीग ने कहा, "जैसे यूनुस लाखों मतदाताओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर कर रहे हैं, वैसे ही वे उन्हीं ताकतों को अपने साथ खींच रहे हैं जिनके खिलाफ बांग्लादेश लंबे समय तक लड़ा। जनता उनके साथ नहीं है; इसलिए, उन्होंने जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम और दूसरे चरमपंथी नेटवर्क्स की ओर रुख किया है। ये समूह, जो कभी हिंसा और कट्टर एजेंडा के कारण प्रतिबंधित थे, अब यूनुस के लिए समर्थन जुटाने के बदले में नई कानूनी मान्यता, आजादी और सुरक्षा का आनंद उठा रहे हैं।"
पार्टी ने यह भी कहा कि महिलाओं के अधिकारों पर हमले, अल्पसंख्यकों पर बढ़ता दबाव और सार्वजनिक जीवन में “मोरल पुलिसिंग” बांग्लादेश में चिंताजनक रूप से आम होती जा रही है।
अवामी लीग ने कहा, "धीरे-धीरे, बांग्लादेश को एक ऐसी दिशा में ले जाया जा रहा है जो खतरनाक रूप से जानी-पहचानी लगती है। ये तालिबानाइजेशन का एक नरम, शांत संस्करण है, जिसे सड़कों पर चरमपंथी नहीं, बल्कि सत्ता के शीर्ष पद पर बैठे लोगों द्वारा लिए गए फैसलों से अंजाम दिया जा रहा है।"
पार्टी ने कहा कि अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोक कर, यूनुस ने आने वाले चुनाव को एक बनावटी रस्म बना दिया है। देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत को हटाने के बाद, यह कहा जाने लगा है कि नतीजा असल में पहले से तय है—जिससे एक “इस्लामिक प्रभाव” वाली सत्ता का रास्ता साफ हो रहा है और इसका रास्ता एक ऐसे मतपत्र से होकर गुजरता है जिसका असल में कोई मतलब ही नहीं है।
अवामी लीग ने कहा, "यह असल में तालिबान मॉडल है: चुनाव सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं; सत्ता किसके हाथ में होगी, ये पहले से तय होता है।"
पार्टी ने चेतावनी दी कि जैसे-जैसे चरमपंथी समूह राजनीतिक जमीन हासिल कर रहे हैं, वैसे-वैसे बांग्लादेश में असहिष्णुता बढ़ रही है, आजादी घट रही है और अल्पसंख्यकों के लिए खतरे में भी बढ़ोतरी हो रही है। दल के अनुसार ऐसी अस्थिरता क्षेत्रीय सुरक्षा को कमजोर कर रही है और देश की अंतर्राष्ट्रीय पहचान को धूमिल कर रही है।