क्या बांग्लादेश में राजनीतिक दलों के मुस्लिम समर्थक कट्टरपंथी दिखने की होड़ में हैं?

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क्या बांग्लादेश में राजनीतिक दलों के मुस्लिम समर्थक कट्टरपंथी दिखने की होड़ में हैं?

सारांश

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष तारिक रहमान की वापसी के बाद देश में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ गई है। पूर्व राजदूत महेश सचदेवा के साथ बातचीत में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा और कट्टरपंथी राजनीति पर चर्चा की गई है। क्या बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव और बढ़ेगा?

Key Takeaways

  • तारिक रहमान की वापसी बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
  • अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्या की घटनाएँ चिंता का विषय हैं।
  • बांग्लादेश की सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने में कठिनाई हो रही है।
  • आगामी चुनावों में बीएनपी की स्थिति मजबूत हो सकती है।
  • सांप्रदायिक तनाव का बढ़ना राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा है।

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने 17 वर्षों के बाद अपने देश में वापसी की है। रहमान ने अपने स्वागत के लिए लोगों का दिल से धन्यवाद किया। दूसरी ओर, बांग्लादेश में एक सप्ताह में दूसरी बार एक अल्पसंख्यक हिंदू की हत्या का मामला सामने आया है। इन घटनाओं पर पूर्व राजदूत महेश सचदेवा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत की।

महेश सचदेवा ने कहा, "हाल में हुई हिंदू युवक की हत्या की यह दूसरी घटना है, जो अधिकतर सांप्रदायिक नफरत के कारण हुई। इससे कई चिंताएं उत्पन्न हुई हैं। सबसे पहले, यह दर्शाता है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में संघर्ष कर रही है।"

उन्होंने आगे कहा, "दूसरा, यह बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में गहराई से फैले इस्लामवाद को प्रदर्शित करता है, जिसमें दल अपने विरोधियों की तुलना में अधिक मुस्लिम समर्थक और कट्टरपंथी दिखने की कोशिश कर रहे हैं। तीसरा, यह सवाल उठाता है कि क्या 12 फरवरी के चुनावों के बाद सांप्रदायिक दुश्मनी की यह लहर कम होगी या यदि ये ताकतें सत्ता में आती हैं, तो क्या हालात और बिगड़ सकते हैं।"

तारिक रहमान की वापसी पर महेश सचदेवा ने कहा, "17 वर्षों के निर्वासन के बाद, तारिक रहमान बांग्लादेश लौट आए हैं। यह चुनावी प्रक्रिया पर असर डाल सकता है, क्योंकि 12 फरवरी को होने वाले चुनाव में बीएनपी को प्रमुखता से देखा जा रहा है। उन्होंने एक सुलह का संदेश दिया, यह बताते हुए कि बांग्लादेश मुसलमानों और ईसाइयों समेत सभी का है। निर्वासन के दौरान देश की प्रगति की सराहना की और अवामी लीग सरकार के सुधारों को भी मान्यता दी। जानकार बांग्लादेश की मौजूदा उथल-पुथल के बीच भारत और उनके आर्थिक और सामाजिक एजेंडे पर नरम रुख पर ध्यान दे रहे हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि ढाका नॉर्थ सिटी यूनिट ने पुरबाचल क्षेत्र में "जुलाई 36 एक्सप्रेसवे" पर बीएनपी द्वारा सफाई अभियान चलाया। इस सड़क का उपयोग तारिक रहमान की रैली के लिए किया गया था। जुलाई 36 एक्सप्रेसवे को 300-फीट रोड के नाम से जाना जाता है। सफाई अभियान में ढाका नॉर्थ सिटी कॉर्पोरेशन (डीएनसीसी) के कर्मचारी, पार्टी कार्यकर्ता और 300 किराए के सफाई कर्मचारी शामिल रहे।

ढाका नॉर्थ बीएनपी के संयोजक अमीनुल हक ने इस अभियान का नेतृत्व किया। कचरे को जल्दी हटाने के लिए 16 ट्रक किराए पर लिए गए। इसके अलावा, राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों से 300 सफाई कर्मचारी लाए गए। इस बीच, डीएनसीसी के सफाई कर्मचारी भी सड़क से कचरा साफ करने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।

Point of View

खासकर अल्पसंख्यकों के लिए। पूर्व राजदूत महेश सचदेवा के विचारों से स्पष्ट होता है कि सरकार की कानून व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति बांग्लादेश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

तारिक रहमान की वापसी का क्या महत्व है?
तारिक रहमान की वापसी बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है। यह बीएनपी के चुनावी अभियान को मजबूत कर सकता है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
बांग्लादेश में सांप्रदायिक नफरत के कारण अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्या के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है।
बांग्लादेश के आगामी चुनावों पर इसका क्या असर होगा?
तारिक रहमान की वापसी और सांप्रदायिक तनाव आगामी चुनावों में बीएनपी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
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