क्या भारत अब दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की कूटनीति अब सक्रिय और निर्णायक है।
- वह वैश्विक मुद्दों पर अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने द्विपक्षीय समझौतों पर भी महत्वपूर्ण बातचीत की है।
- भारत की नीति में रणनीतिक स्वायत्तता का संकेत है।
- भारत अब केवल एक उभरता बाजार नहीं बल्कि एक सशक्त खिलाड़ी है।
वॉशिंगटन, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अब भारत को वैश्विक मंचों पर केवल एक उभरते बाजार या अवलोकक के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि वह अपनी कूटनीतिक पहचान को बनाए रखते हुए राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, "वर्तमान में जटिल हो रही भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के दौर में भारत जैसी समझदारी से बहुत कम देश आगे बढ़ रहे हैं। प्रतिबंधों के दबाव से लेकर व्यापारिक सुधारों तक, चीन के साथ नाजुक कूटनीति से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक नियमों को निर्धारित करने तक, भारत अब केवल वैश्विक मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा, बल्कि वह खुद इनकी दिशा तय कर रहा है।"
रिपोर्ट में इस महीने नाटो महासचिव मार्क रुटे की प्रतिबंध संबंधी चेतावनी पर भारत की "तेज और सख्त" प्रतिक्रिया को उल्लेखित किया गया है, जिसमें भारत ने "दोहरा मापदंड" बताकर आलोचना की और यह दोहराया कि वह व्यापार को लेकर अपने संप्रभु अधिकार से समझौता नहीं करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया, "यह कोई प्रतीकात्मक विरोध नहीं था, बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता का गहरा और स्पष्ट संकेत था। भारत पश्चिमी सुरक्षा ढांचे में शामिल होकर अपनी ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।"
हालांकि, यह दृष्टिकोण अलगाववादी नहीं है। भारत अब भी बैकचैनल डिप्लोमेसी (गोपनीय कूटनीति) में सक्रिय है और वह टकराव से बचते हुए संतुलित नीति पर जोर दे रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व व्यापार संगठन में चल रही सुधार वार्ताओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कैमरून में होने वाले 14वें विश्व व्यापार संगठन मंत्रीस्तरीय सम्मेलन से पहले भारत यह सुनिश्चित करने के लिए पर्दे के पीछे सक्रिय है कि व्यापारिक सुधार विकासशील देशों की प्रगति के विरुद्ध न जाएं।
साथ ही भारत और अमेरिका के बीच एक बड़े व्यापार समझौते पर बातचीत अंतिम चरण में है, जिसे 1 अगस्त से पहले अंतिम रूप दिए जाने की कोशिश की जा रही है। इस समझौते में उच्च तकनीक क्षेत्र, आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, "विश्व व्यापार संगठन में दबाव का विरोध और द्विपक्षीय समझौतों की कोशिश, यह दोहरा दृष्टिकोण भारत की विकसित हो रही व्यापार नीति को दर्शाता है।"
भारत की इस रणनीति को आगामी महीनों में और कठिन परीक्षा से गुजरना होगा, जहां उसे पश्चिमी प्रतिबंधों के दबाव, ऊर्जा सुरक्षा, घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय साख के बीच संतुलन बनाना होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, "अगर हाल के हफ्तों की बात की जाए, तो भारत इस परीक्षा के लिए तैयार नजर आता है। उसकी नीतियां एक ऐसे राष्ट्र की छवि गढ़ रही हैं, जो अब महाशक्तियों के बीच झूलता 'स्विंग स्टेट' नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार नियमों, तकनीकी नैतिकताओं और कूटनीतिक मानकों को खुद तय करने वाला एक स्वतंत्र और सशक्त खिलाड़ी है।"