क्या भारत को कच्चे तेल का निर्यात स्थिर रहेगा? रूसी राजनयिक का बयान

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क्या भारत को कच्चे तेल का निर्यात स्थिर रहेगा? रूसी राजनयिक का बयान

सारांश

भारत और रूस के उपराजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा है कि वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद भारत को कच्चे तेल का निर्यात स्थिर बना रहेगा। जानें इसके पीछे की वजहें और भारत-रूस के संबंधों की मजबूती के संकेत।

Key Takeaways

  • भारत को कच्चे तेल का निर्यात स्थिर रहेगा।
  • रूस की प्रतिस्पर्धात्मकता में कोई कमी नहीं।
  • भारत-रूस व्यापार में वृद्धि।
  • बाहरी दबावों के बावजूद सहयोग बढ़ता है।
  • विशेष सामरिक साझेदारी की पुष्टि।

नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत में रूस के उपराजदूत रोमन बाबुश्किन ने बुधवार को कहा कि वैश्विक प्रतिबंध और व्यापारिक दबावों के बावजूद भारत को कच्चे तेल का निर्यात स्थिर बना रहेगा।

नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में पत्रकारों से बातचीत में बाबुश्किन ने कहा, “वर्तमान परिस्थितियों और बदलते हालात के बावजूद रूस का कच्चे तेल का भारत को निर्यात जारी रहेगा। रूसी तेल का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि यह बेहद प्रतिस्पर्धी है और उच्च लाभ मार्जिन देता है।”

उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार हाल के वर्षों में लगभग सात गुना बढ़ा है। रूस हर साल भारत को करीब 250 मिलियन टन तेल आपूर्ति करता है और औसतन पांच प्रतिशत की छूट भी देता है, जो वार्ता के आधार पर तय होती है।

बाबुश्किन ने कहा कि यूरोपीय संघ के 18वें प्रतिबंध पैकेज का भारत के साथ रूस के तेल व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ा है। जब उनसे यह पूछा गया कि यदि भारत रूसी तेल आयात बंद कर दे तो क्या होगा, तो उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ऐसा कभी होगा।” उन्होंने कहा कि कच्चा तेल, रसायन और उर्वरक के साथ, द्विपक्षीय व्यापार की रीढ़ है।

उन्होंने यह भी कहा कि “जितना दबाव बढ़ता है, उतना ही अधिक सहयोग दिखाई देता है।” बाबुश्किन ने ब्रिक्स देशों के बीच बढ़ते व्यापार और भारत-रूस सहयोग के व्यापक पहलुओं पर भी बात की, जिनमें ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, संस्कृति, अवसंरचना और राजनयिक संवाद शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस महीने दो बार बात कर चुके हैं। वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय मॉस्को दौरे पर हैं, जहां वे अंतर-सरकारी आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात करेंगे।

पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा पर उन्होंने कहा कि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है।

बाबुश्किन ने दोहराया कि प्रतिबंध केवल वैश्विक अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं और रूस भारत के साथ अपनी “विशेष सामरिक साझेदारी” को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत और रूस के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। वैश्विक चुनौतियों के बीच, दोनों देशों के बीच कच्चे तेल का निर्यात एक महत्वपूर्ण व्यापारिक पहलू है। यह न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि रणनीतिक सहयोग को भी दर्शाता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत को कच्चे तेल का निर्यात कब तक जारी रहेगा?
रूसी उपराजदूत ने कहा है कि वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद भारत को कच्चे तेल का निर्यात स्थिर बना रहेगा।
रूस और भारत के बीच व्यापार कितना बढ़ा है?
हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग सात गुना बढ़ा है।
भारत में रूसी तेल के आयात पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
बाबुश्किन ने कहा कि यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का भारत के साथ रूस के तेल व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
रूस और भारत का द्विपक्षीय व्यापार किन क्षेत्रों में है?
यह व्यापार ऊर्जा, रसायन, उर्वरक, संस्कृति और अवसंरचना सहित कई क्षेत्रों में फैला हुआ है।
क्या भारत रूसी तेल का आयात बंद कर सकता है?
बाबुश्किन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ऐसा कभी होगा।