क्या ऑस्ट्रियाई अर्थशास्त्री का ‘एक्स’ अकाउंट भारत विरोधी पोस्ट के कारण ब्लॉक हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- गुंथर फेलिंगर-जान का ‘एक्स’ अकाउंट भारत विरोधी पोस्ट के कारण ब्लॉक हुआ।
- भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला।
- सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं।
- शिवसेना सांसद ने विदेश मंत्रालय से इस पर कार्रवाई की मांग की।
- भारत-ऑस्ट्रिया संबंधों के लिए यह एक चुनौती हो सकती है।
नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ऑस्ट्रियाई अर्थशास्त्री गुंथर फेलिंगर-जान के ‘एक्स’ अकाउंट को भारत विरोधी विवादित पोस्ट के कारण ब्लॉक कर दिया।
फेलिंगर-जान ने अपने पोस्ट में भारत को “खंडित” करने का उल्लेख किया और एक विकृत नक्शा साझा किया, जिसमें भारत के कुछ हिस्सों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और खालिस्तान के रूप में दर्शाया गया था।
उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “मैं भारत को एक्सइंडिया में बांटने का आह्वान करता हूं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के आदमी हैं। हमें खालिस्तान के लिए स्वतंत्रता समर्थक दोस्तों की जरूरत है।”
जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। राजनीतिक दलों और नेटिज़न्स ने इसकी कड़ी निंदा की।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल उठाया कि भारत को इस तरह के प्रोपेगेंडा को क्यों सहन करना चाहिए और विदेश मंत्रालय से ऑस्ट्रियाई दूतावास के साथ इस मुद्दे को उठाने की मांग की।
गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने समीक्षा के बाद ‘एक्स’ को निर्देश दिया कि वह संबंधित अकाउंट को भारत में ब्लॉक करे। इसके फलस्वरूप, अकाउंट को भारत में बंद कर दिया गया है।
गुंथर फेलिंगर-जान वर्तमान में ऑस्ट्रियन कमेटी फॉर नाटो मेंबरशिप ऑफ यूक्रेन, कोसोवो, बोस्निया और ऑस्ट्रिया के अध्यक्ष हैं और साउदर्न बाल्कन्स की क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की एक्शन ग्रुप की बोर्ड में भी शामिल हैं।
इस विवाद के बीच, उनका 2023 का एक पुराना ट्वीट भी वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत का अगला प्रधानमंत्री बताया था। वहीं, एक अन्य ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर चीन और रूस समर्थक होने का आरोप लगाया था।
यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रिया यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में ऐतिहासिक महत्व दर्ज किया था। यह यात्रा भारत-ऑस्ट्रिया के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई थी और 41 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ऑस्ट्रिया यात्रा थी।