क्या हमास के बंधकों में नेपाली छात्र की मौत पर इजरायल ने दुख जताया?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल और इजरायल के बीच संवाद जारी है।
- हमास की कैद में नेपाली छात्र की मौत पर गहरा दुख।
- शव को नेपाल भेजने की प्रक्रिया में इजरायल सरकार।
- सभी बंधकों की रिहाई की अपील।
- मध्य पूर्व शांति योजना पर बातचीत।
काठमांडू, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हमास की कैद में नेपाली छात्र बिपिन जोशी की मौत पर इजरायल सरकार ने गहरा दुख व्यक्त किया है और उसके पार्थिव शरीर को नेपाल वापस भेजने की प्रक्रिया में है।
नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने मंगलवार को इजराइल के विदेश मंत्रालय के महानिदेशक ईडन बार ताल के साथ इस मामले पर बातचीत की।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बताया कि बातचीत के दौरान ईडन बार ताल ने हमास की कैद में बिपिन जोशी की मौत की आधिकारिक पुष्टि की। उन्होंने शोक संतप्त परिवार और नेपाल सरकार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।
महानिदेशक ईडन ने यह भी कहा कि इजरायल सरकार बिपिन जोशी के पार्थिव शरीर को नेपाल भेजने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेगी। विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने बंधकों की सुरक्षा के लिए इजरायल सरकार और जनता के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने बताया कि तेल अवीव स्थित नेपाल दूतावास को इजरायली अधिकारियों के साथ मिलकर शव को वापस लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
दोनों पक्षों ने यह भी आशा व्यक्त की कि मध्य पूर्व शांति योजना के पहले चरण में हुई सकारात्मक प्रगति आगे के चरणों के सफल कार्यान्वयन की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगी और इस क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने में मदद करेगी।
उन्होंने नेपाल और इजरायल के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता की।
इससे पहले नेपाल ने कहा था कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड द्वारा प्रस्तावित 'मध्य पूर्व शांति योजना' के पहले चरण को लागू करने के लिए इजरायल और हमास के बीच हुए समझौते का स्वागत करते हैं।
हम नेपाली नागरिक बिपिन जोशी सहित सभी बंधकों की तात्कालिक रिहाई की मांग करते हैं, जिन्हें 7 अक्टूबर 2023 से हमास ने बंधक बना रखा है। हम सभी संबंधित पक्षों से अनुरोध करते हैं कि वे इस योजना को उसकी मूल भावना के अनुसार लागू करें ताकि गाजा के लोगों तक मानवीय सहायता का प्रवाह सुनिश्चित हो सके और इस क्षेत्र में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त हो सके।
नेपाल इस महत्वपूर्ण समझौते को सुनिश्चित करने में संयुक्त राज्य अमेरिका, कतर, मिस्र और तुर्की की सराहना करता है।