क्या चीनी प्रतिनिधि ने जापान से गलत बयान वापस लेने का आग्रह किया?
Key Takeaways
- चीन ने जापान से गलत बयान वापस लेने का आग्रह किया है।
- थाईवान चीन का एक अभिन्न हिस्सा है।
- एशिया में शांति के लिए यह बयान गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है।
बीजिंग, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी चीनी प्रतिनिधि फू छोंग ने 15 दिसंबर को सुरक्षा परिषद की 'शांति के लिए नेतृत्व का प्रदर्शन' पर आयोजित सार्वजनिक बहस के दौरान एक बार फिर जापान से गलत बयान को वापस लेने की अपील की।
इस अवसर पर फू छोंग ने कहा कि शांति के लिए नेतृत्व प्रदर्शित करने के लिए सबसे पहले शांति का सम्मान करना और न्याय को बनाए रखना आवश्यक है। इस वर्ष चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की 80वीं वर्षगांठ है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इतिहास का सिंहावलोकन करते हुए, जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने धारा के खिलाफ गलत बयान दिए। साने ताकाइची ने यह दावा किया कि जापान का 'अस्तित्व का संकट' थाईवान से संबंधित है। इससे यह संकेत मिलता है कि जापान सैन्य तरीके से थाईवान मामले में हस्तक्षेप करेगा। यह चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है और द्वितीय विश्व युद्ध में पराजित देश के रूप में जापान द्वारा चीन और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति किए गए वचन का उल्लंघन है। इससे एशिया और दुनिया में शांति के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ है।
फू छोंग ने आगे कहा कि थाईवान चीन की प्रादेशिक भूमि का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह राजनीति और कानून में एक स्थापित सत्य है। काहिरा घोषणा, पोट्सडैम घोषणा, जापानी समर्पण पत्र, संयुक्त राष्ट्र महासभा के नंबर 2758 प्रस्ताव, यूएन की संबंधित विधि राय, चीन-जापान संयुक्त बयान और चीन-जापान शांति और मैत्री संधि आदि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संबंधित द्विपक्षीय राजनीतिक दस्तावेजों में इसे पूरी तरह से स्थापित किया जा सकता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)