क्या चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है? अरुणाचल का राग क्यों अलाप रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर फिर से दावे किए हैं।
- भारत ने चीन को कड़े जवाब दिए हैं।
- ताइवान ने अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए बजट में वृद्धि की है।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीन ने एक बार फिर से भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपने पुराने दावे को दोहराया है। हाल ही में, चीन ने मनमाने तरीके से एक भारतीय नागरिक को हिरासत में लिया, जिससे भारी हंगामा हुआ। भारत ने चीन को कड़े शब्दों में जवाब दिया है। यह कोई नई बात नहीं है; चीन की आदत है कि वह दूसरों की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने का प्रयास करता है, और जब ऐसा करने में सफल नहीं हो पाता, तो उसे अपना बताने लगता है। चीन इसी तरह के दावे ताइवान पर भी करता रहा है।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न हिस्सा है। अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर भी इसे भारत का राज्य के रूप में दर्शाया गया है, न कि चीन का। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर में स्थित है, जिसकी सीमाएं भूटान, चीन और म्यांमार से जुड़ी हुई हैं।
चीन का यह कहना है कि उसने अपने मानचित्र पर अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ पूरे जम्मू-कश्मीर को भी अपना हिस्सा मान लिया है। बीजिंग में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के दूसरे समिट में, चीन ने जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा दिखाया था।
हाल ही में, चीन ने लगभग तीस हजार नक्शों को नष्ट किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा दर्शाया गया था। 2018 में, चीनी चैनल सीजीटीएन ने पीओके को पाकिस्तान से अलग दिखाने का प्रयास किया था।
ताइवान के साथ भी चीन ऐसा ही कुछ करने की कोशिश कर रहा है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और धमकियां देता रहता है कि वह बलपूर्वक ताइवान को अपने में शामिल करेगा। दूसरी ओर, ताइवान की सरकार का कहना है कि वह एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसे अपनी राजनीतिक दिशा का निर्णय करने का अधिकार है।
चीन के बढ़ते दबाव के बीच, ताइवान ने अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए रक्षा बजट में वृद्धि की है। हाल ही में, ताइवान ने चीन के साथ तनाव के बीच 40 बिलियन डॉलर से अधिक का रक्षा बजट प्रस्तुत किया है। इसके अलावा, जापान ने भी ताइवान के पास योनागुनी द्वीप पर नई मिसाइलें तैनात की हैं।
चीन और भारत के बीच मैकमोहन रेखा को दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा माना जाता है, लेकिन चीन इसे मानने से इंकार करता है। चीन का दावा है कि तिब्बत का एक बड़ा हिस्सा भारत के पास है और उसने पश्चिम अक्साई चिन के बड़े हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।