क्या चीन प्रोपेगेंडा युद्ध में एआई का इस्तेमाल कर रहा है?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- चीन जनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर दुष्प्रचार कर रहा है।
- भ्रामक सामग्री का प्रसार और सोशल मीडिया का दुरुपयोग।
- अमेरिकी सांसदों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास।
- फर्जी समाचार वेबसाइटों का निर्माण।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीन ने जनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर दुष्प्रचार के अभियान को तेज़ कर दिया है। यह विभिन्न देशों को बदनाम करने में लगा हुआ है, जो वैश्विक स्तर पर एक चिंता का विषय बन चुका है। यह जानकारी द डिप्लोमैट की एक रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजिंग स्थानीय भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुसार सामग्री तैयार करने के लिए जनरेटिव एआई टूल्स का उपयोग कर रहा है। यह भ्रामक जानकारी फैलाने और सोशल मीडिया का फायदा उठाकर विकासशील देशों के युवाओं के विचारों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है।
अगस्त की शुरुआत में, अमेरिका के वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर्स ने एक निबंध प्रकाशित किया था जिसमें गोलाक्सी से जुड़े चीनी दस्तावेजों का एक बड़ा संग्रह प्रस्तुत किया गया था।
सूत्रों के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग हांगकांग और ताइवान में लक्षित दर्शकों के लिए भ्रामक सामग्री तैयार करने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, अमेरिकी सांसदों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इसका उपयोग भविष्य में किसी खुफिया अभियान में किया जा सकता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ओपन एआई, मेटा और ग्राफिका से जुड़ी कई घटनाएं हुई हैं, जो दर्शाती हैं कि चीन एआई का दुरुपयोग कर रहा है। इस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, और लोकतांत्रिक सरकारों को तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।
जहां पहले के दुष्प्रचार अभियानों में झूठे व्यक्तित्व या डीपफेक बनाने के लिए एआई उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था, वहीं अब ये उपकरण पूरी तरह से फर्जी समाचार वेबसाइटें बनाने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं।
इन तरीकों से बीजिंग अपने नैरेटिव को सेट कर रहा है और इसे विभिन्न भाषाओं में फैला रहा है। हाल ही में प्रकाशित ग्राफिका की "फाल्सोस एमिगोस" रिपोर्ट में 11 फर्जी वेबसाइटों के नेटवर्क की पहचान की गई है, जो विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए एआई-जनरेटेड तस्वीरों का उपयोग कर रही थीं।
जून में प्रकाशित ओपनएआई की "थ्रेट रिपोर्ट" में भी इसी तरह की रणनीतियों का उल्लेख किया गया था, जिसमें बताया गया था कि अब प्रतिबंधित चैटजीपीटी खातों ने समाचार आउटलेट के रूप में प्रस्तुत दो पृष्ठों के लिए संकेतों का इस्तेमाल किया था।
एक अन्य प्रमुख रणनीति के तहत चीन ने ऑर्गेनिक एंगेजमेंट को बढ़ावा दिया। ओपनएआई ने ऐसे खातों का पता लगाया जो सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में पोस्ट बना रहे थे।
इसने पाकिस्तानी कार्यकर्ता महरंग बलूच के मामले को भी हाईलाइट किया, जिन्होंने बलूचिस्तान में चीन के निवेश की आलोचना की। मेटा ने उन पर पोर्नोग्राफी के आरोपों का गलत वीडियो पोस्ट किया, जिसके बाद सैकड़ों एआई-जनरेटेड टिप्पणियां प्रकाशित की गईं।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            