क्या हादी पर हमले के बाद बांग्लादेश में लोग खौफ में हैं? बीएनपी नेता फखरुल ने ‘टारगेट किलिंग’ की आशंका जताई
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में चुनावी हिंसा का माहौल है।
- फखरुल ने टारगेट किलिंग की चेतावनी दी।
- हादी को गंभीर चोटें आई हैं।
- बांग्लादेश शहीद बुद्धिजीवी दिवस मनाता है।
- लोकतंत्र के लिए यह समय चिंतित करने वाला है।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में चुनावी हिंसा और अराजकता की स्थिति बनी हुई है। ढाका-8 के निर्दलीय उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी को गोली लगने के बाद से माहौल बहुत ही तनावपूर्ण हो गया है। इस बीच, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के सेक्रेटरी जनरल मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने रविवार को चिंता व्यक्त की कि हादी पर हुए हमले जैसी घटनाएं भविष्य में भी हो सकती हैं।
बीएनपी नेता ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश के दुश्मन एक बार फिर देश को अस्थिर करने की कोशिश में टारगेट किलिंग का सहारा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, “जब बांग्लादेश एक नया सूरज देख रहा है और एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है, और जब बांग्लादेश के लोग एक निष्पक्ष चुनाव के जरिए एक लोकतांत्रिक देश बनाने का सपना देख रहे हैं, ठीक उसी समय उसके दुश्मनों ने एक बार फिर हत्याओं का सिलसिला शुरू कर दिया है।”
बीएनपी नेता ने सुबह मीरपुर में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उनकी पार्टी ढाका-8 के निर्दलीय उम्मीदवार शरीफ उस्मान हादी पर हुए हमले की कड़ी निंदा करती है। हमें डर है कि ऐसी घटनाएं फिर से हो सकती हैं।
चुनाव आयोग के 13वें संसदीय चुनाव और रेफरेंडम का शेड्यूल ऐलान करने के एक दिन बाद, शुक्रवार को ढाका में उस्मान हादी को गोली मार दी गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। सिर में गोली लगने के कारण उनका अभी एवरकेयर हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।
दूसरी ओर, 14 दिसंबर के इतिहास को याद करते हुए, फखरुल ने कहा कि जब पाकिस्तानी ऑक्यूपेशन फोर्स की हार तय हो गई और लिबरेशन वॉर फोर्स ने ढाका को घेर लिया, तो ऑक्यूपेशन आर्मी ने अपने साथियों की मदद से, बांग्लादेश को इंटेलेक्चुअली खत्म करने के लिए देश के सबसे तेज दिमागों को मार डाला।
उन्होंने कहा, “उन्होंने यूनिवर्सिटी के टीचरों, डॉक्टरों, शोधकर्ताओं, लेखकों, पत्रकारों और कई दूसरे लोगों को मार डाला। यह एक प्लान किया गया मर्डर था, जिसका मकसद देश को इंटेलेक्चुअली कमजोर बनाना था।” फखरुल ने कहा कि देश हर साल इस दिन इस दर्दनाक इतिहास को याद करता है।
बांग्लादेश हर साल 14 दिसंबर को शहीद बुद्धिजीवी दिवस मनाता है। इस दिन 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना और उसके सहयोगियों ने मिलकर बांग्लादेश के सैकड़ों बुद्धिजीवियों, डॉक्टरों, शिक्षकों, पत्रकारों और कलाकारों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी, ताकि बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में सशक्त बनने से रोका जा सके।