क्या बांग्लादेशी प्रवासियों ने लंदन में मुहम्मद युनूस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया?

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क्या बांग्लादेशी प्रवासियों ने लंदन में मुहम्मद युनूस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया?

सारांश

बांग्लादेशी प्रवासियों ने लंदन में मुहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन किया। 2,000 से अधिक प्रवासियों ने सरकार द्वारा मानवाधिकारों के हनन और अलोकतांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई। इस घटना ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है।

Key Takeaways

  • प्रदर्शन का उद्देश्य: बांग्लादेश में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाना।
  • संख्‍या: 2,000 से अधिक प्रवासी प्रदर्शन में शामिल हुए।
  • अवामी लीग का समर्थन: राजनीतिक पार्टी ने प्रदर्शन का समर्थन किया।
  • धार्मिक अल्पसंख्यकों का मुद्दा: हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों की बढ़ती संख्या।
  • ब्रिटिश सरकार की भूमिका: ब्रिटिश सरकार से बांग्लादेश में लोकतंत्र की रक्षा की अपील।

लंदन, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ विदेशी धरती पर विरोध का सिलसिला जारी है। इस बार यूनाइटेड किंगडम में बांग्लादेशी प्रवासियों के 2,000 से अधिक सदस्यों ने लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में एक बड़ा प्रदर्शन किया।

यह प्रदर्शन बांग्लादेश में सरकार द्वारा लोगों के दमन, मानवाधिकारों के हनन और अलोकतांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ आयोजित किया गया।

इस प्रदर्शन को लेकर अवामी लीग ने भी मुहम्मद यूनुस सरकार पर तीखा हमला बोला है।

प्रदर्शनकारियों ने ट्राफलगर स्क्वायर से डाउनिंग स्ट्रीट तक मार्च किया और इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के नाम एक पत्र सौंपा।

अवामी लीग ने कहा कि इस पत्र में बांग्लादेशी प्रवासियों ने कानून के शासन की कमजोरी और बांग्लादेश की स्वतंत्र, बहुलवादी और लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्कृति पर हमलों के बारे में अपनी चिंताओं का उल्लेख किया।

पत्र में कहा गया, "ब्रिटेन सरकार अपने करीबी सहयोगी के अराजकता में डूबते हुए चुपचाप नहीं बैठ सकती। हमारे दोनों देशों का इतिहास आपस में जुड़ा हुआ है। आज ग्रेट ब्रिटेन में रहने वाले लाखों चिंतित लोग, जिनके परिवार और दोस्त बांग्लादेश में हैं, चाहते हैं कि ब्रिटेन इसमें सक्रिय रुचि ले।"

पत्र में आगे कहा गया, "हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह अंतरिम प्रशासन को उसकी ओर से किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराए, स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतांत्रिक चुनावों की निगरानी करे और जहां आवश्यक हो, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन लेकर यह सुनिश्चित करे कि बांग्लादेश में लोकतंत्र कायम रहे।"

अवामी लीग ने कहा कि लंदन में प्रदर्शनकारियों ने यूनुस प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों का भी विरोध किया। यूनुस शासन के पहले तीन महीनों में हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2,000 से अधिक हमले दर्ज किए गए और ये लक्षित हिंसक घटनाएं अब भी अनियंत्रित रूप से जारी हैं।

पार्टी ने दावा किया कि बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति ने मानवाधिकार संगठनों से अंतरराष्ट्रीय निंदा प्राप्त की है, जिन्होंने मीडिया पर दमन, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, और एक पूरी राजनीतिक पार्टी और इसके समर्थकों के उत्पीड़न की आलोचना की है।

अवामी लीग ने "गैर-निर्वाचित" अंतरिम सरकार द्वारा भविष्य के चुनावों में भाग लेने पर प्रतिबंध का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप लाखों बांग्लादेशी मतदाताओं का अधिकार छिन जाएगा।

अवामी लीग ने आरोप लगाया कि मीडिया और न्यायपालिका के सदस्यों को भी उनकी राजनीतिक निष्ठा के कारण निशाना बनाया गया है। पार्टी ने कहा, "पूर्व सरकार के प्रति सहानुभूति रखने वाले 160 से ज्यादा पत्रकारों की प्रेस मान्यता निलंबित कर दी गई है और कई वरिष्ठ पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है और हिरासत में लिया गया है। कुछ पर हत्या के झूठे आरोप लगाए गए हैं और वकीलों तक उनकी पहुंच सीमित है।"

Point of View

बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी सोचने पर मजबूर करेगा।
NationPress
17/09/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेशी प्रवासियों ने लंदन में क्यों प्रदर्शन किया?
प्रवासी बांग्लादेशी नागरिकों ने मुहम्मद यूनुस सरकार के मानवाधिकारों के हनन और अलोकतांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में कितने लोग शामिल हुए?
इस प्रदर्शन में 2,000 से अधिक बांग्लादेशी प्रवासियों ने भाग लिया।
क्या अवामी लीग ने इस प्रदर्शन का समर्थन किया?
हाँ, अवामी लीग ने इस प्रदर्शन का समर्थन किया और मुहम्मद यूनुस सरकार पर हमला बोला।
क्या बांग्लादेश में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?
जी हाँ, बांग्लादेश में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ।
ब्रिटिश सरकार ने इस मुद्दे पर क्या कहा?
प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र सौंपा, जिसमें बांग्लादेश में लोकतंत्र की रक्षा की अपील की गई।