क्या इंडोनेशिया में आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण मौतों का आंकड़ा 1000 से अधिक पहुंच गया?
सारांश
Key Takeaways
- इंडोनेशिया में बाढ़ और भूस्खलन से 1000 से अधिक लोग मरे हैं।
- 218 लोगों की जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं है।
- सरकार राहत कार्य में जुटी है।
- आपदा प्रबंधन के लिए बेहतर योजनाओं की आवश्यकता है।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ जरूरी हैं।
जकार्ता, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडोनेशिया के सुमात्रा के तीन प्रांतों में आए बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो गई है। इसके अलावा, 218 लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी (बीएनपीबी) ने शनिवार को यह जानकारी साझा की।
इन आपदाओं ने कई इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। बीएनपीबी के अनुसार, लगभग 1,200 सार्वजनिक सुविधाएं, 219 स्वास्थ्य सुविधाएं, 581 शैक्षणिक संस्थान, 434 दुआ और प्रार्थना की जगहें, 290 ऑफिस बिल्डिंग और 145 पुलों को नुकसान हुआ है।
न्यूज़ एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बीएनपीबी के डेटा और सूचना केंद्र के प्रमुख अब्दुल मुहरी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सब-डिस्ट्रिक्ट स्तर पर डेटा का सत्यापन और सिविल रिकॉर्ड के साथ क्रॉस-रेफरेंसिंग का कार्य चल रहा है।
उन्होंने बताया कि पीड़ितों के नाम और पते की पुष्टि की जा रही है और कई जिलों में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया जारी है। इस बीच, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने शुक्रवार को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार समुदाय की विभिन्न बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कार्यरत है।
प्रबोवो ने कहा, "हम सब मिलकर इस स्थिति को सुधारेंगे। सरकार हर संभव मदद के लिए आगे आएगी।" उन्होंने नागरिकों से रिकवरी प्रक्रिया के दौरान धैर्य रखने की अपील की।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने आशा जताई है कि बच्चों को पढ़ाने और सीखने जैसी सामुदायिक गतिविधियां जल्द ही सामान्य हो जाएंगी। इस सप्ताह के आरंभ में, सुबियांटो ने आचे में कई प्रभावित स्थानों का दौरा करने के बाद डिजास्टर रिस्पॉन्स और रिकवरी की कोशिशों पर एक बैठक की। उन्होंने सेना, पुलिस, नेशनल सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी, बीएनपीबी और स्थानीय सरकारों को मिलकर काम करने का निर्देश दिया।
इंडोनेशिया की एयरलांगा यूनिवर्सिटी में डिजास्टर मैनेजमेंट के लेक्चरर हिजरा सपुत्रा ने बताया कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां अब भी दूरदराज के गांवों तक नहीं पहुंची हैं, क्षेत्रीय योजना में अनुशासन का अभाव है, और पर्यावरणीय पुनर्वास की प्रक्रिया भी केवल कभी-कभी की जाती है।
उन्होंने कहा, "अगर हम भविष्य में जनहानि कम करना चाहते हैं, तो सुनियोजित क्षेत्रीय योजना, जलग्रहण क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर आधारित दृष्टिकोण और क्षेत्रीय स्तर पर एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से आपदा-रोधी क्षमता को सुदृढ़ करना अनिवार्य होगा।"
—राष्ट्र प्रेस
केके/डीएससी