क्या इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पर दिखाए तेवर?

सारांश
Key Takeaways
- नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को आतंकवाद को पुरस्कृत करने का आरोप।
- इजराइल किसी भी स्थिति में जॉर्डन नदी के पश्चिम में फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं होने देगा।
- इजराइली विदेश मंत्री ने इस निर्णय को अनैतिक और शर्मनाक बताया।
- इजरायल की सुरक्षा और संप्रभुता को बनाए रखने की प्राथमिकता।
यरूशलम, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता देने वाले ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पर सीधा हमला किया है। उन्होंने इन तीन देशों पर 'आतंकवाद को पुरस्कृत' करने का आरोप लगाया है। नेतन्याहू ने दोबारा स्पष्ट किया कि इजराइल जॉर्डन नदी के पश्चिम में किसी भी फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को कभी स्वीकार नहीं करेगा।
नेतन्याहू ने कहा, "हमारी भूमि पर आतंकवादी राज्य थोपने की इस नई कोशिश का जवाब मैं अमेरिका से लौटने के बाद दूंगा।"
तीनों देशों की सरकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "7 अक्टूबर के भयानक नरसंहार के बाद फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने वाले नेताओं के लिए मेरा स्पष्ट संदेश है कि आप आतंकवाद को एक बड़े इनाम से पुरस्कृत कर रहे हैं। और मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। जॉर्डन नदी के पश्चिम में कोई फिलिस्तीनी राज्य नहीं होगा।"
फिलिस्तीनी राज्य के गठन के अपने पुराने विरोध को दोहराते हुए नेतन्याहू ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों के विस्तार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
उन्होंने कहा कि कई वर्षों से मैंने घरेलू और विदेशी दबाव के बावजूद उस आतंकवादी राज्य के गठन को रोका है। हमने यह दृढ़ संकल्प के साथ किया है। इसके अलावा, हमने यहूदिया और सामरिया में यहूदी बस्तियों की संख्या दोगुना कर दी है और हम इसी रास्ते पर चलते रहेंगे।
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया द्वारा फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देने का यह कदम दो-राज्य समाधान के लिए गति को फिर से बढ़ाने के व्यापक अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है। हालाँकि, इस फैसले की इजराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने कड़ी आलोचना की है।
इजराइली विदेश मंत्री गिडिअन सार ने भी इस निर्णय की निंदा की और इसे एक गंभीर गलती बताया। उन्होंने कहा, "दुनिया के अधिकांश देश पहले भी फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुके हैं। यह निर्णय पहले भी गलत था, और जो सरकारें इसे मान्यता देने का निर्णय ले रही हैं, वे अनैतिक, घिनौना और शर्मनाक काम कर रही हैं।"
सार ने तर्क किया कि जब इजराइल हमास और उसके सहयोगियों के खिलाफ सैन्य अभियान में लगा हुआ है, तब इस तरह की मान्यता इतिहास में शर्मनाक स्थिति के रूप में दर्ज होगी।
उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर के बाद जिन सरकारों ने ऐसा निर्णय लिया, यह हमास के लिए पुरस्कार जैसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में अमेरिका ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण पर प्रतिबंध लगाए हैं, क्योंकि वह दोषी हमलावरों को भत्ते देकर आतंकवाद को प्रोत्साहित कर रहा है।
हाल ही में, अमेरिका ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) और इसके नेताओं के खिलाफ कदम उठाए हैं, क्योंकि वे आतंकवादियों को वेतन देकर पुरस्कृत करने की नीति जारी रखे हुए हैं। सार ने कहा कि वे उन देशों की विपक्षी पार्टियों के रुख से उत्साहित हैं, जिन्होंने अपने देशों की सरकार के इस कदम का विरोध किया और इसे गलत माना। उन्होंने कहा कि इन देशों में भी हमारे कई दोस्त हैं।
सार ने इस बात पर जोर दिया कि इजराइल की संप्रभुता को बाहरी दबाव से कमजोर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना नहीं होगी, क्योंकि इजराइल की जनता इसका भारी बहुमत से विरोध करती है। यह एक अव्यवहारिक विचार है।
उन्होंने कहा, "हमारा भविष्य लंदन या पेरिस में नहीं, बल्कि यरुशलम में तय होगा। हम उन कदमों के खिलाफ कूटनीतिक स्तर पर मजबूती से लड़ते रहेंगे, जो इजराइल और उसके भविष्य के लिए खतरा हैं। हमारे दुनियाभर के दोस्त, खासकर अमेरिका, हमारे साथ खड़े रहेंगे। इजराइल का अस्तित्व हमेशा बना रहेगा।