क्या व्यापार, एआई और प्रवासी भारतीयों की भूमिका भारत-अमेरिका संबंधों को आकार दे रही है?
सारांश
Key Takeaways
- व्यापार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत-अमेरिका संबंधों में महत्वपूर्ण हैं।
- प्रवासी भारतीय सांस्कृतिक और आर्थिक सेतु का काम कर रहे हैं।
- सही जानकारी और मीडिया की जिम्मेदारी जरूरी है।
- रक्षा और अंतरिक्ष में सह-निर्माण के अवसर बढ़ रहे हैं।
- राजनीतिक अनिश्चितता के बावजूद जुड़ाव बनाए रखना आवश्यक है।
शिकागो, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की कुंजी व्यापार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डायस्पोरा मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। जाने-माने समुदाय के सदस्य, व्यापारिक नेता और राजनयिकों ने रविवार को भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य की दिशा पर विचार करते हुए यह बात साझा की।
रविवार को आयोजित चर्चा में समाज के प्रमुख व्यक्तित्वों, उद्योग जगत के नेताओं और राजनयिकों ने इस बात पर जोर दिया कि इन मुद्दों का भविष्य में भारत और अमेरिका के रिश्तों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
यूएस-इंडिया रणनीतिक साझेदारी फोरम के अंकित जैन ने द्विपक्षीय संबंधों को 'एक लंबी और चलती हुई शादी' के रूप में चित्रित किया। उनका कहना था कि इन रिश्तों में मजबूती और प्रतिबद्धता है, लेकिन झगड़े या ड्रामा कम हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद व्यापारिक संबंध मजबूती से कायम हैं। उन्होंने कहा, 'भारत $200 अरब से ज्यादा का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है,' और अमेरिकी कंपनियां भारत में भारी निवेश कर रही हैं। उन्होंने अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल की हालिया घोषणाओं का उल्लेख किया।
इंडिया अब्रॉड डायलॉग में एक पैनल चर्चा के दौरान, जैन ने चेतावनी दी कि ऊंचे टैरिफ दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत पर 50 प्रतिशत का सबसे ऊंचा टैरिफ लगाना कोई समझदारी नहीं है,' और संयुक्त राज्य अमेरिका में छोटे और मध्यम उद्यमों और महंगाई पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया।
भारतीय दूतावास में सामुदायिक मामलों और सुरक्षा के काउंसलर देबेश कुमार बेहरा ने कहा कि भारत का आगामी एआई शिखर सम्मेलन ओपन-सोर्स नवाचार और स्वदेशी क्षमता पर ध्यान केंद्रित करेगा। उनका कहना था, 'हम जितना ज्यादा ओपन-सोर्स का उपयोग करेंगे, यह समुदाय के लिए उतना ही फायदेमंद होगा।'
सामुदायिक नेताओं ने प्रवासी भारतीयों की आर्थिक और सांस्कृतिक सेतु के रूप में भूमिका को रेखांकित किया। सामुदायिक नेता और सफल व्यवसायी अमिताभ मित्तल ने कहा, 'जब एआई विकास की बात आती है, तो हम सबसे मजबूत समुदाय हैं।' उन्होंने अगली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी उद्यमियों और भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के बीच गहरे संबंध का आग्रह किया।
सामुदायिक मीडिया के नेता वंदना झिंगन ने चेतावनी दी कि गलत सूचना विश्वास को खत्म कर रही है। उन्होंने कहा, 'हर किसी के पास स्मार्टफोन है और वे खुद को रिपोर्टर समझते हैं, लेकिन जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए सत्यापन की आवश्यकता है, न कि कहानियों की।'
उन्होंने कहा कि एथनिक मीडिया को मजबूत कम्युनिटी सपोर्ट की आवश्यकता है। संपादकीय का अपना कार्य है, लेकिन प्रकाशकों को बिलों का भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने व्यवसायों से विश्वसनीय प्रवासी मीडिया आउटलेट्स का समर्थन करने का अनुरोध किया।
प्रतिभागियों ने रक्षा विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर भी चर्चा की, और सह-निर्माण के बढ़ते अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया। सामुदायिक नेता और व्यवसायी नेता नीरव पटेल ने कहा, 'अमेरिका में रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाले 3,600 से अधिक छोटे संगठन हैं, जिनमें से कई का नेतृत्व अगली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी कर रहे हैं।'
सत्र का समापन राजनीतिक अनिश्चितता के बावजूद लगातार जुड़े रहने के आह्वान के साथ हुआ। एक वक्ता ने कहा, 'यह न तो सबसे बुरा समय है और न ही सबसे अच्छा समय है। यह बस एक समय है।'
पिछले एक दशक में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया है, जैसे-जैसे दोनों देश राजनीतिक बदलावों से गुजर रहे हैं। प्रवासी नेताओं का कहना है कि लोगों के बीच लगातार बने रहने वाले संबंध एक स्थिर शक्ति बने रहेंगे।