क्या सर्दियों में रोजाना पर्वतासन से शरीर को फिट और एक्टिव रखा जा सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- पर्वतासन नियमित रूप से करने से शरीर को कई लाभ होते हैं।
- यह रक्त संचार को तेज करता है।
- सभी उम्र के लोग इसे कर सकते हैं।
- योग का यह आसन तनाव को कम करने में सहायक है।
- सही तरीके से अभ्यास करना जरूरी है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जैसे ही सर्दियों का आगाज़ होता है, आलस्य और ठंड के कारण जोड़ों में अकड़न होना सामान्य है। इस स्थिति में, योग शरीर को गर्म रखने, ऊर्जा बढ़ाने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक होता है। इनमें से एक सरल और अत्यधिक प्रभावशाली आसन है, पर्वतासन.
पर्वतासन का अर्थ है पर्वत की तरह स्थिर और मजबूत होना। जिस प्रकार पर्वत किसी भी परिस्थिति में अडिग होता है, उसी तरह यह आसन भी शारीरिक स्थिरता, मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह आसन देखने में सरल लगता है, लेकिन इसके नियमित अभ्यास से शरीर को बहुत लाभ मिलता है। दिलचस्प बात यह है कि इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं।
आयुष मंत्रालय ने इस आसन को अत्यधिक प्रभावकारी और उपयोगी बताया है। रोजाना पर्वतासन करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं, साथ ही यह रक्त संचार को तेज करता है और कई शारीरिक समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है।
इसके नियमित अभ्यास से रक्त संचार बढ़ता है, थकान और पैरों की झनझनाहट कम होती है, कंधे और कमर मजबूत होते हैं, और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा, तनाव कम होता है और श्वसन क्षमता बढ़ती है।
योग विशेषज्ञों ने इसे करने का सही तरीका बताया है। इसे करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन या सुखासन की मुद्रा में आराम से बैठ जाएं। दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर उंगलियों को आपस में लॉक करें। सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचें, कंधे कान से दूर रखें, और पीठ तथा कमर को सीधा रखें। 15 से 20 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें और गहरी सांस लें। इसके बाद धीरे-धीरे हाथ नीचे लाएं और वापस स्थिति में आएं। इसे 5 से 10 बार दोहराएं।
यह आसन किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं, लेकिन अगर किसी के पास कोई शारीरिक समस्या, गंभीर बीमारी, या हाल ही में सर्जरी हुई है, तो वे इसे करने से परहेज करें या किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।