क्या अमेरिका-भारत के बीच आर्थिक संबंधों को गहरा करने के लिए व्यापार समझौता जरूरी है?
सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका-भारत के बीच व्यापार समझौता आवश्यक है।
- केशप ने व्यापार का भरोसा बढ़ाने की बात की।
- अमेरिका में भारत के सामान का एक्सपोर्ट बढ़ा है।
- फ्रंटियर तकनीक में सहयोग की आवश्यकता है।
- कम टैरिफ से व्यापार का लाभ बढ़ सकता है।
वॉशिंगटन, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने हाल ही में भारत का दौरा किया। इस दौरे के बाद उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत को गहरे आर्थिक जुड़ाव को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। दोनों पक्षों के बीच व्यापार का विश्वास मजबूत करने के लिए भारत-अमेरिका के बीच जो व्यापार समझौता लंबे समय से लटका हुआ है, उसे पूरा करना चाहिए।
केशप ने भारत दौरे को बहुत प्रेरणादायक बताया और कहा, “हम अमेरिका, व्यापार समझौते और बिजनेस पर भारतीयों की राय जानना चाहते थे। हमने सुना कि भारत के नजरिए से उन्होंने अमेरिका को एक बहुत अच्छा प्रस्ताव दिया है और उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका व्यापार को लेकर बातचीत पूरी करेगा और हमारे बीच एक समझौता भी होगा।”
उन्होंने कहा, “हम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता चाहते हैं। हम चाहते हैं कि यह जल्द से जल्द हो। हम चाहते हैं कि यह बड़ा हो।” उनके अनुसार यह समझौता व्यापक होना चाहिए, जो अमेरिका-भारत की अर्थव्यवस्थाओं के बीच और गहरे एकीकरण की मजबूत नींव तैयार करेगा।
भारतीय पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर केशप ने कहा कि भारत ने असर को कम करने के लिए अपने एक्सपोर्ट मार्केट को अलग-अलग तरह का बनाने के लिए काम किया है। फिर भी, 2025 में अमेरिका में भारत का सामान एक्सपोर्ट बढ़ा है।
उन्होंने कहा, "यह चल रही बातचीत का एक हिस्सा है, जिसमें दोनों पक्ष यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि फाइनल टैरिफ नंबर कहां तक पहुंच सकता है।"
केशप ने डेटा सेंटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भारत में अमेरिका के बड़े निवेश की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, "अमेरिका और भारत को फ्रंटियर तकनीक को विकसित करने के लिए एक-दूसरे के साथ काम करना चाहिए। दोस्तों के बीच कम टैरिफ सबसे अच्छा नतीजा हो सकता है। भारत का प्रस्ताव अमेरिकी एक्सपोर्टर के लिए मार्केट एक्सेस बढ़ा सकता है।"