क्या बांग्लादेशी सरकार को आतंकवाद विरोधी कानून का दुरुपयोग बंद करना चाहिए?

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क्या बांग्लादेशी सरकार को आतंकवाद विरोधी कानून का दुरुपयोग बंद करना चाहिए?

सारांश

बांग्लादेश में मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ता जा रहा है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की है। क्या यह राजनीतिक दमन का एक नया अध्याय है? जानें इस विशेष रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • ह्यूमन राइट्स वॉच ने बांग्लादेश सरकार की नीतियों की आलोचना की।
  • आतंकवाद विरोधी कानून का दुरुपयोग बढ़ रहा है।
  • राजनीतिक दमन की चिंताएं सामने आई हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई की मांग की गई है।
  • बांग्लादेश में शांतिपूर्ण चुनावों की आवश्यकता है।

न्यूयॉर्क, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका स्थित मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर अपने विरोधियों को प्रताड़ित करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस संगठन ने पूर्व अवामी लीग सरकार के "कथित" समर्थकों को गिरफ्तार करने के लिए हाल ही में संशोधित आतंकवाद विरोधी कानून का अत्यधिक उपयोग करने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की है।

एचआरडब्ल्यू ने बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार टीम से अपील की है कि वह मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की तुरंत रिहाई की मांग करे और अधिकारियों को उनके अधिकारों की रक्षा करने तथा गैरकानूनी राजनीतिक हिंसा का उपयोग करने वालों पर मुकदमा चलाने के लिए प्रोत्साहित करे।

आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार द्वारा लागू किया गया था।

एचआरडब्ल्यू ने बताया कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत 2025 के संशोधनों का मकसद अवामी लीग के सदस्यों को "सत्ता में रहते हुए उनके दुरुपयोग" के लिए जिम्मेदार ठहराना था। ये संशोधन राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों की मांगों के बाद पेश किए गए थे।

एचआरडब्ल्यू की उप-एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, "बांग्लादेशी सरकार को आतंकवाद विरोधी कानून का दुरुपयोग बंद करना चाहिए, जो राजनीतिक दमन का एक नया रूप बनता जा रहा है। अंतरिम सरकार को इसके बजाय सुरक्षित और सहभागी चुनावों के लिए माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"

संगठन ने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण भाषण और संघ बनाने के अधिकार का दमन अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन है।

उन्होंने बताया कि अंतरिम सरकार के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से कई पर हत्या के संदिग्ध आरोप हैं, जबकि कई अन्य आतंकवाद-रोधी अधिनियम के तहत हिरासत में हैं।

मानवाधिकार संस्था ने कहा है, "बांग्लादेश संपादक परिषद ने चेतावनी दी है कि आतंकवाद-रोधी अधिनियम में संशोधन 'लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करेगा और जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता के व्यापक दायरे को सीमित करेगा, जो चिंताजनक है और इससे प्रेस की स्वतंत्रता को खतरा होगा।' हालांकि, यूनुस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रतिबंध से इनकार किया है।"

यूनुस सरकार की आलोचना करते हुए, एचआरडब्ल्यू ने कहा कि अंतरिम सरकार उन कट्टरपंथी इस्लामी समूहों को नियंत्रित करने में भी असमर्थ रही है जो अपनी मांगों को पूरा करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं, जिसमें अवामी लीग समर्थकों को निशाना बनाना और महिलाओं के अधिकारों का विरोध करना शामिल है।

इसके अलावा, ढाका स्थित मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र (एएसके) की रिपोर्टों का हवाला देते हुए, मानवाधिकार संस्था ने कहा कि जनवरी से अब तक भीड़ के हमलों में कम से कम 152 लोग मारे गए हैं।

एचआरडब्ल्यू ने एक राजनीतिक कार्यकर्ता के हवाले से कहा, "फिलहाल, हमारे पास दो विकल्प हैं: या तो आतंकवादी बताकर जेल जाना या फिर भीड़ का सामना करना। मैं यह नहीं कह रहा कि दोषियों को सजा नहीं मिलनी चाहिए, लेकिन एक निष्पक्ष न्याय व्यवस्था होनी चाहिए, जिसे यूनुस सरकार देने में नाकाम रही है।"

Point of View

मेरा मानना है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरा है। हमें हमेशा अपने देश के लोगों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और हमें इसे गंभीरता से लेना होगा।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश में मानवाधिकारों का उल्लंघन क्यों हो रहा है?
बांग्लादेशी सरकार द्वारा आतंकवाद विरोधी कानून का दुरुपयोग राजनीतिक दमन के लिए किया जा रहा है।
क्या मानवाधिकार संगठन इस दुरुपयोग के खिलाफ हैं?
हाँ, ह्यूमन राइट्स वॉच ने कड़ी आलोचना की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की मांग की है।
आतंकवाद विरोधी कानून कब लागू हुआ था?
यह कानून 2009 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार द्वारा लागू किया गया था।
क्या बांग्लादेश में सुरक्षित चुनाव संभव हैं?
संगठन ने कहा है कि सरकार को सुरक्षित और सहभागी चुनावों का माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इस स्थिति का क्या असर होगा?
इससे प्रेस की स्वतंत्रता और लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।