क्या अमेरिका से परमाणु वार्ता ईरान के लिए हानिकारक है? अली खामेनेई ने दी चेतावनी
सारांश
Key Takeaways
- ईरान के सर्वोच्च नेता ने अमेरिका से बातचीत को हानिकारक बताया।
- बातचीत से ईरान के राष्ट्रीय हितों को खतरा हो सकता है।
- अमेरिका ने ईरान से परमाणु गतिविधियों को बंद करने की मांग की है।
- ईरान ने परमाणु समझौता 2015 में किया था।
- ईरान ने इजरायल पर जवाबी हमले किए हैं।
तेहरान, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ मौजूदा परिस्थिति में परमाणु वार्ता करने के खिलाफ चेतावनी दी है। उनका कहना है कि ऐसा करना ईरान के राष्ट्रिय हितों के लिए लाभदायक नहीं होगा।
खामेनेई ने मंगलवार को एक टेलीविजन संबोधन में कहा, "मौजूदा स्थिति में अमेरिकी सरकार से बातचीत हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है, इससे हमें कोई लाभ नहीं मिलेगा और यह किसी नुकसान को भी नहीं रोक पाएगी।"
उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी वार्ता से ईरान को 'बड़े' नुकसान हो सकते हैं, जिनमें से कुछ कभी ठीक नहीं हो पाएंगे।
खामेनेई ने कहा कि अमेरिकी पक्ष पहले से ही वार्ता का अंतिम नतीजा तय कर चुका है, क्योंकि वे ईरान से उसकी परमाणु गतिविधियां और यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह बंद करने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रक्रिया वार्ता नहीं, बल्कि थोपना और दबाव डालना है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, खामेनेई ने बताया कि अमेरिका ने ईरान से छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की मिसाइलों को छोड़ने की भी मांग की है, ताकि ईरान संभावित आक्रामकता का जवाब देने में असमर्थ हो।
खामेनेई ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के ईरान के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि परमाणु मुद्दे सहित अन्य मामलों पर अमेरिका के साथ बातचीत पूरी तरह से बंद रास्ता है।
ईरान ने जुलाई २०१५ में विश्व शक्तियों के साथ एक परमाणु समझौता किया था, जिसमें उसने अपने परमाणु कार्यक्रम पर कुछ अंकुश लगाने के बदले प्रतिबंधों को हटाने की सहमति दी थी। हालांकि, मई २०१८ में अमेरिका इस समझौते से बाहर हो गया और उसने ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए, जिसके जवाब में तेहरान ने समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को कम कर दिया।
इस साल अप्रैल में ईरान और अमेरिका ने परमाणु कार्यक्रम और अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने पर अप्रत्यक्ष वार्ता शुरू की थी। जून में छठे दौर की वार्ता से पहले इजरायल ने ईरान के कई क्षेत्रों, विशेष रूप से परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े हवाई हमले किए, जिसमें वरिष्ठ कमांडरों, परमाणु वैज्ञानिकों और कई नागरिकों की मौत हो गई।
इसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर कई मिसाइल और ड्रोन हमले किए। २२ जून को अमेरिकी वायु सेना ने ईरान की तीन परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की।